बुल्ले शाह की शायरी | Bulleh shah shayari in hindi

Bulleh shah shayari

आपने तन दी ख़बर ना काई, साजन दी ख़बर ल्यावे कौण।
ना हूं ख़ाकी ना हूं आतश , ना हूं पानी पउन ।
कुप्पे विच रोड़ खड़कदे , मूरख आखन बोले कौन ।
बुल्ल्हा साईं घट घट रव्या,ज्युं आटे विच लौन ।

अल्ल्हा तों मैं ते करज़ बणायआ, हत्थों तूं मेरा करज़ाई ।
ओथे तां मेरी प्रवरिश कीती, जित्थे किसे नूं ख़बर ना काई ।
ओथों तांहीं आए एथे , जां पहलों रोज़ी आई ।
बुल्ल्हे शाह है आशक उसदा, जिस तहकीक हकीकत पाई ।

अरबा-अनासर महल बणायो, विच वड़ बैठा आपे ।
आपे कुड़ियां आपे नींगर, आपे बणना एं मापे ।
आपे मरें ते आपे जीवें, आपे करें स्यापे ।
बुल्ल्हआ जो कुझ कुदरत रब्ब दी, आपे आप सिंञापे ।

भट्ठ नमाज़ां ते चिकड़ रोज़े, कलमे ते फिर गई स्याही ।
बुल्ल्हे शाह शहु अन्दरों मिल्या, भुल्ली फिरे लुकाई ।

बुल्ल्हा कसर नाम कसूर है, ओथे मूंहों ना सकन बोल ।
ओथे सच्चे गरदन मारीए, ओथे झूठे करन कलोल ।

Bulleh shah in punjabi

आ मिल यार सार लै मेरी
आ मिल यार सार लै मेरी, मेरी जान दुक्खां ने घेरी ।
अन्दर ख़ाब विछोड़ा होया, ख़बर ना पैंदी तेरी ।
सुंञे बन विच लुट्टी साईआं, सूर पलंग ने घेरी ।
इह तां ठग्ग जगत दे, जेहा लावन जाल चफेरी ।
करम शर्हा दे धरम बतावन, संगल पावन पैरीं ।
ज़ात मज़्हब इह इश्क ना पुच्छदा, इश्क शर्हा दा वैरी ।
नदियों पार मुल्क सजन दा लहवो-लआब ने घेरी ।
सतिगुर बेड़ी फड़ी खलोती तैं क्यों लाई आ देरी ।
प्रीतम पास ते टोलना किस नूं, भुल्ल गयों सिखर दुपहरी ।
बुल्ल्हा शाह शौह तैनूं मिलसी, दिल नूं देह दलेरी ।
आ मिल यार सार लै मेरी, मेरी जान दुक्खां ने घेरी ।

आओ फ़कीरो मेले चलिए
आयो फ़कीरो मेले चलिए, आरफ़ दा सुन वाजा रे ।
अनहद सबद सुनो बहु रंगी, तजीए भेख प्याजा रे ।
अनहद बाजा सरब मिलापी, निरवैरी सिरनाजा रे ।
मेले बाझों मेला औतर, रुढ़ ग्या मूल व्याजा रे ।
कठिन फ़कीरी रसता आशक, कायम करो मन बाजा रे ।
बन्दा रब्ब ब्रिहों इक मगर सुख, बुल्हा पड़ जहान बराजा रे ।

काफ़ियां बाबा बुल्ले शाह

आओ सईयो रल दियो नी वधाई
आयो सईयो रल दियो नी वधाई ।
मैं वर पाइआ रांझा माही ।

अज्ज तां रोज़ मुबारक चढ़आ, रांझा साडे वेहड़े वड़्या,
हत्थ खूंडी मोढे कम्बल धरिआ, चाकां वाली शकल बणाई,
आयो सईयो रल दियो नी वधाई ।

मुक्कट गऊआं दे विच रुल्लदा, जंगल जूहां दे विच रुल्लदा ।
है कोई अल्लाह दे वल्ल भुल्लदा, असल हकीकत ख़बर ना काई,
आयो सईयो रल दियो नी वधाई ।

bulleh shah shayari in hindi

बुल्ल्हे शाह इक सौदा कीता, पीता ज़हर प्याला पीता,
ना कुझ लाहा टोटा लीता, दर्द दुक्खां दी गठड़ी चाई,
आयो सईयो रल दियो नी वधाई ।
मैं वर पाइआ रांझा माही ।आ सजन गल लग्ग असाडे
आ सजन गल लग्ग असाडे, केहा झेड़ा लाययो ई ?
सुत्त्यां बैठ्यां कुझ्झ ना डिट्ठा, जागदियां सहु पाययो ई ।
‘कुम-ब-इज़नी’ शमस बोले, उलटा कर लटकाययो ई ।
इश्कन इश्कन जग्ग विच होईआं, दे दिलास बिठाययो ई ।
मैं तैं काई नहीं जुदाई, फिर क्यों आप छुपाययो ई ।

बुल्लेशाह की शायरी


मझ्झियां आईआं माही ना आया, फूक ब्रिहों रुलाययो ई ।
एस इश्क दे वेखे कारे, यूसफ़ खूह पवाययो ई ।
वांग ज़ुलैखां विच मिसर दे, घुंगट खोल्ह रुलाययो ई ।
रब्ब-इ-अरानी मूसा बोले, तद कोह-तूर जलाययो ई ।
लण-तरानी झिड़कां वाला, आपे हुकम सुणाययो ई ।
इश्क दिवाने कीता फ़ानी, दिल यतीम बनाययो ई ।
बुल्हा शौह घर वस्या आ के, शाह इनायत पाययो ई ।
आ सजन गल लग्ग असाडे, केहा झेड़ा लाययो ई ?

अब हम गुंम हूए, प्रेम नगर के शहर
अब हम गुंम हूए, प्रेम नगर के शहर ।
आपने आप नूं सोध रिहा हूं, ना सिर हाथ ना पैर ।
खुदी खोई अपना पद चीता, तब होई गल्ल ख़ैर ।
लत्थे पगड़े पहले घर थीं, कौन करे निरवैर ?
बुल्ल्हा शहु है दोहीं जहानीं, कोई ना दिसदा ग़ैर ।

bulle shah kaafiyan in hindi

अब क्यों साजन चिर लायो रे
अब क्यों साजन चिर लायो रे ?

ऐसी आई मन में काई,
दुख सुख सभ वंजाययो रे,
हार शिंगार को आग लगाउं,
घट उप्पर ढांड मचाययो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

सुन के ज्ञान की ऐसी बातां,
नाम निशान सभी अणघातां,
कोइल वांगूं कूकां रातां,
तैं अजे वी तरस ना आइयो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

गल मिरगानी सीस खपरिया,
भीख मंगन नूं रो रो फिरिआ,
जोगन नाम भ्या लिट धरिआ,
अंग बिभूत रमाययो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

इश्क मुल्लां ने बांग दिवाई,
उट्ठ बहुड़न गल्ल वाजब आई,
कर कर सिजदे घर वल धाई,
मत्थे महराब टिकाययो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

प्रेम नगर दे उलटे चाले,
ख़ूनी नैन होए खुशहाले,
आपे आप फसे विच जाले,
फस फस आप कुहाययो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

दुक्ख बिरहों ना होन पुराणे,
जिस तन पीड़ां सो तन जाणे,
अन्दर झिड़कां बाहर ताअने,
नेहुं लग्यां दुक्ख पाययो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

मैना मालन रोंदी पकड़ी,
बिरहों पकड़ी करके तकड़ी,
इक मरना दूजी जग्ग दी फक्कड़ी,
हुन कौन बन्ना बण आइयो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

बुल्ल्हा शौह संग प्रीत लगाई,
सोहनी बण तण सभ कोई आई,
वेख के शाह इनायत साईं,
जिय मेरा भर आइयो रे ;
अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

baba bulleh shah shayari hindi

अब लगन लगी किह करिए
अब लगन लगी किह करिए ?
ना जी सकीए ते ना मरीए ।

तुम सुनो हमारी बैना,
मोहे रात दिने नहीं चैना,
हुन पी बिन पलक ना सरीए ।
अब लगन लगी किह करीए ?

इह अगन बिरहों दी जारी,
कोई हमरी प्रीत निवारी,
बिन दरशन कैसे तरीए ?
अब लगन लगी किह करीए ?

बुल्ल्हे पई मुसीबत भारी,
कोई करो हमारी कारी,
इक अजेहे दुक्ख कैसे जरीए ?
अब लगन लगी किह करीए ?

ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता
ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता ।

bulleh shah status in hindi

ना हम हिन्दू ना तुर्क ज़रूरी, नाम इश्क दी है मनज़ूरी,
आशक ने वर जीता, ऐसा जग्या ज्ञान पलीता ।

वेखो ठग्गां शोर मचाइआ, जंमना मरना चा बणाइआ ।
मूर्ख भुल्ले रौला पाइआ, जिस नूं आशक ज़ाहर कीता,
ऐसा जग्या ज्ञान पलीता ।

बुल्ल्हा आशक दी बात न्यारी, प्रेम वालिआं बड़ी करारी,
मूर्ख दी मत्त ऐवें मारी, वाक सुख़न चुप्प कीता,
ऐसा जग्या ज्ञान पलीता ।

आओ फकीरो मेले चलीए,
आरफ का सुण वाजा रे।
अनहद शब्द सुणो बहु रंगी,
तजीए भेख प्याज़ा रे।
अनहद वाजा सरब मिलापी,
नित्त वैरी सिरनाजा रे।
मेरे बाज्झों मेला औतर,
रूढ़ ग्या मूल व्याजा रे।
करन फकीरी रस्ता आशक,
कायम करो मन बाजा रे।
बन्दा रब्ब भ्यों इक्क मगर सुक्ख,
बुल्ला पड़ा जहान बराजा रे।

bulle shah kavita poetry in hindi

आओ फकीरो मेले चलीए,
आरफ का सुण वाजा रे।
अनहद शब्द सुणो बहु रंगी,
तजीए भेख प्याज़ा रे।
अनहद वाजा सरब मिलापी,
नित्त वैरी सिरनाजा रे।
मेरे बाज्झों मेला औतर,
रूढ़ ग्या मूल व्याजा रे।
करन फकीरी रस्ता आशक,
कायम करो मन बाजा रे।
बन्दा रब्ब भ्यों इक्क मगर सुक्ख,
बुल्ला पड़ा जहान बराजा रे।

इक नुकता यार पढ़ाया ए। बुल्ले शाह

इक नुकता यार पढ़ाया ए।
इक नुकता यार पढ़ाया ए।

ऐन गैन दी हिक्का[1] सूरत,
हिक्क नुकते शोर मचाया ए।
इक नुकता यार पढ़ाया ए।

सस्सी दा दिल लुट्टण कारन,
होत पुनूँ बण आया ए।
इक नुकता यार पढ़ाया ए।

bulleh shah shayari in hindi font

बुल्ला सहु दी जात ना कोई,
मैं सहु अनायत[2] पाया ए।
इक नुकता यार पढ़ाया ए।

ऐन गैन दी हिक्का सूरत,
हिक्क नुकते शोर मचाया ए।
इक नुकता यार पढ़ाया ए।

इश्क हकीकी ने मुट्ठी कुड़े
इश्क हकीकी ने मुट्ठी कुड़े,
मैनूं दस्सो पिया दा देस ।

Bulle Shah poetry in hindi

माप्यां दे घर बाल इञाणी, पीत लगा लुट्टी कुड़े,
मैनूं दस्सो पिया दा देस ।

मनतक मअने कन्नज़ कदूरी, मैं पढ़ पढ़ इलम वगुच्ची कुड़े,
मैनूं दस्सो पिया दा देस ।

नमाज़ रोज़ा ओहनां की करना, जिन्हां प्रेम सुराही लुट्टी कुड़े,
मैनूं दस्सो पिया दा देस ।

बुल्ल्हा शौह दी मजलस बह के, सभ करनी मेरी छुट्टी कुड़े ,
मैनूं दस्सो पिया दा देस ।

2 thoughts on “बुल्ले शाह की शायरी | Bulleh shah shayari in hindi”

  1. There is definately a lot to find out about this subject. I like all the points you made

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