इक्कीसवीं सदी में जो किसी ने ना सोचा था वह हो रहा है । दो-चार लोग नहीं, दो-चार शहरों या मुल्क नहीं बल्कि सारी दुनिया की तस्वीर बदल जाएगी। कोरोना के कारण इस बदलती दुनिया के दौरान कुछ उन बड़े शायरियों को पढ़ के आप आज के समय को समझ सकते है ।
आपके अंदर के चल रहे कौतुहल को बाहर से देखने के प्रयास कर सकते हैं। corona shayari,covid shayari,corona whatsapp status ,corona facebook status ,corona virus shayari in hindi ,lockdown shayari से हमारी कोशिश है की आप इस दौरान मंजर को समझ पाए। कई बार हम वो देख लेते है जो प्रकृति हमें दिखाना चाहती है। दिल के दरवाजे खोले रखिये ।
चहकते बोलते शहरों को क्या हुआ नासिर
कि दिन को भी मिरे घर में वही उदासी है
हे कोरोना जाओ ना यार
अब ना करो इतना हमसे प्यार
थक गए है सोम हो गया संडे बेकार
माफ़ कर दो हम ना कर पाएंगे प्यार
एक ही शहर में रहना है मगर मिलना नहीं
देखते हैं ये अज़ीय्यत भी गवारा करके
कोरोना ने ऐसा रुलवाया रोना
भूल गया हु खाना भूल गया हु सोना
मत डर मेरे दोस्त मै आऊंगा
साइंस है इसका इलाज़ नहीं कोई जादू टोना
कौन तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझे
यह भरा शहर भी तन्हा नज़र आता है मुझे
ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं -माहिर-उल क़ादरी

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
ना इलाज है, ना दवाई है…
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ए इश्क, तेरे टक्कर की बला आई है!
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं

दुनिया में वही शख़्स है ताज़ीम के क़ाबिल
जिस शख़्स ने हालात का रुख़ मोड़ दिया हो
हो न मायूस ख़ुदा से ‘बिस्मिल’
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएँगे

आंखों में उड़ रही है लुटी महफ़िलों की धूल
इबरत सराए दहर है और हम हैं दोस्तो
घर तो ऐसा कहां का था लेकिन
दर-बदर हैं तो याद आता है
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं मां तेरी यह उम्र तो आराम की थी
आज तक बनते रहे हैं जो हमारे ज़ामिन
उन से हम हाथ मिलाने से भी महरूम रहे
जगदीश प्रकाश
अजनबी रंग छलकता हो अगर आँखों से
उन से फिर हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है
नदीम गुल्लानी
वक़्त के साथ ‘सदा’ बदले तअल्लुक़ कितने
तब गले मिलते थे अब हाथ मिलाया न गया
सदा अम्बालवी
मेरी बर्बादी में था हाथ कोई पोशीदा
उस ने जब हाथ मिलाया तो मुझे याद आया
हैरत फ़र्रुख़ाबादी
दुनिया तो हम से हाथ मिलाने को आई थी
हम ने ही एतिबार दोबारा नहीं किया
अंबरीन हसीब अंबर
मिल बैठ के वो हंसना वो रोना चला गया
अब तो कोई ये कह दे करोना चला गया
रात को दिन से मिलाने की हवस थी हमको
काम अच्छा न था अंजाम भी अच्छा न हुआ
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आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana Twitter) इस वीडियो में कह रहे हैं, “वो सामने वाली बिल्डिंग कुछ दिनों पहले सील हो गई. तब से आस-पड़ोस के लोगों की जिंदगी थोड़ी तब्दील हो गई. इसी बिल्डिंग की नीचे वाली दुकान से ही तो सामान आता था.”
आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana Video) वीडियो में आगे कह रहे हैं, “और वो बीमारी के बारे में कुछ दिन पहले ही बता देते, तो क्या जाता था. आज हम डरे हुए हैं. जीवित हैं पर मरे हुए हैं. आज लगता है कि काश कर दें सबकुछ ठीक इस दुनिया को करके रिवाइंड. सलाम है उसको जो सड़के साफ करता है, कचरा लेकर जाता है, घर का सामान लेकर आता है और फिर अपने घर जाता है. पर हमने उसको वो इज्जत दी ही नहीं, हम पैसे वाले हैं हमारे बाप का क्या जाता है.”
वो वक़्त का जहाज़ था करता लिहाज़ क्या
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया
हफ़ीज़ मेरठी
वो कौन था जो हाथ मिला कर निकल गया
बरपा हिसार-ए-जिस्म में कोहराम क्यूँ हुआ
हमदम कशमीरी
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