होली का त्यौहार अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है या 2 दिन चलता है और होली से पहले काली रात में होलिका जलाई जाती है दूसरे दिन लोग गुलाल रंग से खेलते हैं विष्णु भक्त प्रहलाद के लिए बचने की कहानी है इसमें उनकी बुआ होलिका आग में जलकर मर जाती है
Holika Dahan Story|होलिका दहन की कहानी
पुराणों के हिसाब से हिरण्यकश्यप एक दानवों का राजा था .पुत्र प्रहलाद केवल विष्णु को की पूजा करता था हिरण्यकश्यप इससे बहुत गुस्से में था था और उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को लेकर आग में बैठने को कहा. होलिका को वरदान था कि अग्नि उसका नुकसान नहीं पहुंचा सकती .लेकिन इसका उल्टा हुआ और होलिका जलकर राख हो गई और भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ . इस घटना की याद में ही होलिका दहन मनाया जाता है लिका दहन का यह कार्यक्रम यह संदेश देता है कि ईश्वर अपने याद करने वालों के रक्षा के लिए लिए उपस्थित रहते हैं .
Krishna Holi Story |श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी
जब कंस को कृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तब कंस ने नामक राक्षसी को स्कूल भेजा.कंस ने पूतना को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए कहा था .पूतना को स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था .लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ चुके थे .उन्होंने पूतना के स्तनों से दूध पान करते हुए पूतना का वध कर दिया. कहा जाता है कि तभी से होली की पर्व मनाई जाती है
होलिका दहन की कहानी का उल्लेख 300 साल पहले के अभिलेख में भी मिलता है .बहुत लोग मानते हैं कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नामक गायत्री का वध किया था .खुशी में उनकी गोपियां होली मनाते हैं
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