‘हेलीकॉप्टर मनी’ की चर्चा पिछले कुछ दिनों से हो रही यह टर्म अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन का दिया हुआ है। इसका मतलब रिज़र्व बैंक रुपये को प्रिंट करना और सीधे सरकार को दे देना ताकि वह जनता में बाँट दे जिससे लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती कर सकें.

हेलीकॉप्टर मनी क्या है?( what is helicopter money in hindi)
Helicopter Money का उपयोग किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को एक गहरी मंदी से बाहर निकालने के इरादे से किया जाता है.
सरकार इसके बाद इन रुपये को जनता में बांट दे, जिससे लोगों की बेसिक जरूरतें पूरी हो सकें।
इसको ‘हेलीकॉप्टर मनी’ कहा जाता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि सरकार हेलीकॉप्टर के जरिए पैसे शहरों में गिराती है। यह प्रतीकात्मक रूप से हेलीकाप्टर से पैसा बरसाने जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रत्याशित धन की उम्मीद नहीं थी ।
किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को गहरी मंदी से बाहर निकालने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। भारत में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, इसको बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया गया।
हेलिकॉप्टर मनी के तहत दिया गया पैसा सरकार को सेंट्रल बैंक को रिफंड नहीं करना पड़ता है.
जबकि क्वांटिटेटिव ईजिंग के तहत भी सेंट्रल बैंक नोटों की छपाई करता है और सरकार को दे देता है लेकिन सेंट्रल बैंक, सरकारी बॉन्ड खरीदता है तभी सरकार को पैसे देता है.
बाद में सेंट्रल गवर्नमेंट को ये बांड्स वापस खरीदकर रिज़र्व बैंक को पैसा लौटाना पड़ता है.
helicopter money ke fayde
क्या हेलिकॉप्टर मनी देश हित में है? (Is Helicopter Money Good for Economy)
हेलिकॉप्टर मनी के मुद्रा स्फीति बढती है अर्थात देश की मुद्रा की वैल्यू कम होती है. यदि सरकार कोविड 19 से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था में रुपये छोड़ देती है तो एक बहुत बड़ी मात्रा में बाजार में मुद्रा की सप्लाई हो जाएगी जो कि आगे उन्ही गरीबों के लिए संकट पैदा करेगी जिनके लिए आज यह पैसा बाजार में उतारा जा रहा है.
इसलिए Helicopter Money एक प्रकार से दुधारी तलवार है और सरकार को इसका इस्तेमाल ध्यान से करने की जरूरत है. अगर आप ऐसे ही और रोचक लेख पढना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ।
अमेरिका कोरोना वायरस महामारी का केंद्र बन गया है तो ‘हेलिकॉप्टर मनी’ की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है। अमेरिका में बेरोजगारी दर 20-30 % की आशंका व्यक्त की गई है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के प्रोफेसर विलेम बुइटर कहते हैं, “ऐसा करने का यही वक्त है।”
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