हीरे की शायरी
परख अगर हीरे की करनी है तो कभी अंधेँरे मे मिलो, ऐ दोस्त,
वरना धुप मे तो काँच के टुकडे भी चमकते है……
परख अगर #हीरे की #करनी है
तो #कभी अंधेँरे मे #मिलो, ऐ #दोस्त,
हीरा बनाया है ईश्वर ने हर किसी को…
पर चमकता वही है जो तराशने की हद से गुज़रता है…!!
Hire ki Shayari
अच्छे के साथ अच्छे बनें पर बुरे के साथ बुरे नहीं!
क्योंकि…
हीरे से हीरा तराशा जा सकता है,
पर कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता
दुनिया ने तो हमें छोड़ दिया था
बस इक पत्थर समझ कर
पर शुक्र है उस खुदा का
जिसने तराश के हमें हीरा बना दिया
Hira ki Shayari
कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बिना जरुरत के तो हीरे भी तिजोरी में रहते है…
हीरे जेवरात नहीं चाहता हूँ मैं बस,
तेरे दोस्ती की महल की नीव बनना चाहता हूँ मैं,
कहने को कोई होना चाहिए मेरा यार अपना,
बस वैसा एक सच्चा दोस्त चाहता हूँ मैं।