कामिल की शायरी | Irshad kamil Shayari

इरशाद कामिल बॉलीवुड के के गीतकार हैं। उन्हें फ़िल्मफेयर, आइफा, ज़ी सिने समेत लगभग हर फ़िल्मी पुरस्कार मिल चुका है। कई पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख प्रकाशित हो चुके हैं। 2015 में वाणी प्रकाशन ने उनकी किताब एक महीना नज़्मों का प्रकाशित की थी, । इसमें लिखी नज़्में उम्मीद के धागों पर, बारिश के बाद पानी की बूंदों की तरह तैरते रंग-बिरंगे ख़्वाबों को ज़ुबान देती हैं। 

इरशाद ने अपनी लफ़्ज़ों में कई एहसासात भी बांधे हैं, पेश हैं आपके सामने कुछ ऐसे ही जज़्बात  

Irshad kamil Shayari in hindi

मेरे और उसके नाम
या फिर 
तुम्हारे और उसके नाम
या चलो
सिर्फ़ उसी के नाम…

सर्दी थी
छत थी 
वो थी… मैं भी था।

irshad kamil Shayari

मुंडेरों पर पसरी मोहब्बत,
सर्दी में खु़श्क गालों से
टपक-टपक पड़ती है
और शाम छलक जाती है

~इरशाद कामिल

irshad kamil quotes

मैं किसी उजले गुलाबी
दिन को अपनी बन्द मुट्ठी खोल दूँगा
रख दूँगा चुपचाप एक लफ़्ज़
तुम्हारी दूधिया सी हथेली पर
जो खुश्बू नहीं होगा
फिर भी महकेगा
चाँदनी नहीं होगा
फिर भी चमकेगा
नशा नहीं होगा
फिर भी बहकेगा

राही लौटे
पंछी लौटे
सूरज लौटा अपने देस
माये, कैसे लौटेगा वो
जिसके घर परदेस….

” ज़िन्दगी बेवफा है ये माना मगर
छोड़कर राह में जाओगे तुम अगर
छीन लाऊँगा मैं आसमां से तुम्हें
सूना होगा ना ये, दो दिलों का नगर “

मोहब्बत की बात

चलो मोहब्बत की बात करें
अब
मैले जिस्मों से ऊपर उठ कर
भूलते हुए कि कभी

घुटने टेक चुके हैं हम
और देख चुके हैं

अपनी रूह को तार तार होते
झूटे फ़ख़्र के साथ
चलो मोहब्बत की बात करें

ज़िंदगी के पैरों तले
बे-रहमी से रौंदे जाने के बा’द

मरहम लगाएँ ज़ख़्मी वजूद पर
जो शर्म से आँखें झुका कर
बैठा है सपनों के मज़ार पे
इस से बुरी कोई बात नहीं कर सकते

हम अपनी ही ज़िद में
धोका दे चुके हैं अपने-आप को
खेल चुके हैं ख़ुद अपनी इज़्ज़त से
भोग चुके हैं झूट को सच की तरह

अब
इन हालात में
कोई ग़ैर-ज़रूरी बात ही कर सकते हैं हम
आओ मोहब्बत की बात करें

पोशीदा है पाक मोहब्बत  तेरे बिन है खाक़ मोहब्बत  तेरी हसरत जंगल जितनी  मेरी है इक शाख़ मोहब्बत.

इरशाद कामिल की शायरी

खुसरो की पहेली सी उलझी 
ये उमर गुज़ारिश करती है
हर वक़्त मुझे समझाओ न 
कुछ समझो भी…

एक लफ़्ज़ 
मैं जेब में रखके
तुमसे मिलने आता हूँ
उसे बोले बिन मैं ले जाता हूँ।

कुछ रिश्तों का

कुछ रिश्तों का 
नमक ही दूरी होता है
न मिलना भी 
बहुत ज़रूरी होता है 

आज उंगली कटी 
याद की डोर से 
खींचा फिर से किसी ने 
तेरी ओर से।

फिर उस रस्ते

फिर उस रस्ते 
सजदा करने 
अक्सर दिल ले आता है
जो तेरे शहर को जाता है।

भूख बड़ी 
या प्यार
छोड़ न यार…