Khushi Shayari – हमारी मुस्कान, मुस्कुराता चेहरा हमारे स्वास्थ को बढ़िया बनाता हैं इसके साथ-साथ दूसरों को भी हँसाने में मदत करता रहता हैं. जिन्दगी बहुत छोटी है. हर हाल में, हर पल, हर किसी को मुस्कुराते रहना चाहिए. मुस्कुरा कर जिन्दगी जिओ, सारी कायनात तुम्हारी होगी…
मन में परेशानियां बहुत हैं सबको, पर पाना है कुछ तो समय दो खुदको !
गैरों के चेहरे की ख़ुशी को अपनी ख़ुशी समझना
शायद इसी का नाम मोहब्बत है
kisi ke chehre ki khushi
खामोश हूँ तो सिर्फ़ तेरी खुशी के लिए !
ये न समझना की मेरा दिल दुःखता नहीं !!
तेरी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर
मेरी बेचैनियों की वजह बस तुम ही हो
दुआओं पे हमारे ऐतबार रखना,
दिल में अपने ना कोई सवाल रखना,
देना चाहते हो अगर खुशियां हमें,
बस आप खुश रहना अपना ख्याल रखना।
जीने की उसने हमे नई अदा दी है,
खुश रहने की उसने दुआ दी है,
ऐ खुदा उसको खुशियाँ तमाम देना,
जिसने अपने दिल मे हमें जगह दी है।
khushi shayari in hindi
तेरी पसंद हमरी चाहत बन जाये,
तेरी मुस्कान दिल की राहत बन जाये,
खुदा खुशियों से इतना खुश कर दे आपको,
कि तुझे खुश देखना हमारी आदत बन जाए।
जब भी वो गली से गुजरते हैं,
मेरी आँखें एक दस्तक दे देती हैं,
दुःख ये नहीं वो खिड़कियाँ बंद कर लेते हैं,
खुशी ये है वो मुझे पहचान लेते हैं।
उसके हाथों का खिलौना हूँ पर खुश हूँ मैं,
कुछ देर के लिए ही सही मुझे चाहता तो है।
खुशी मिली तो कई दर्द मुझसे रूठ गए,
दुआ करो की मैं फिर से उदास हो जाऊं।
ग़म की घटाओं से खुशी का चाँद निकलेगा,
काली रात के पर्दों में दिन कि रौशनी भी है।
दिल में खुशी हो तो छलक जाता है,
मुस्कुराहटें बजह की मोहताज नहीं होती।
ना ख़ुशी खरीद पाता हूँ ना ही गम बेच पाता हूँ,
फिर भी ना जाने मैं क्यूँ हर रोज कमाने जाता हूँ.
खुशियाँ कहाँ हम तो गम चाहते हैं,
ख़ुशी उसको दे दो जिसको हम चाहते हैं.
पता न चला कि इश्क के जाल में फँसे कब थे,
मरते वक्त याद न आया कि हँसे कब थे.
khushi quotes
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है
ये चेहरे की ख़ुशी सिर्फ़ तेरे इन्तजार की हैं,
क्योकि दिल में आज भी उम्मीद तेरे दीदार की हैं.
सजते रहे ख़ुशियों की महफ़िल, हर खुशियाँ सुहानी रहे,
आप जिन्दगी में इतना ख़ुश रहे कि हर ख़ुशी आपकी दिवानी रहे.
तेरे बिना ख़ुशियों का चिराग जलता नही.
शहर की रौशनी से ये दिल बहलता नहीं,
कभी ख़ुशी की आशा, कभी मन की निराशा,
कभी ख़ुशियों की धूप, कभी हकीकत की छाँव,
कुछ खोकर कुछ पाने की आशा,
शायद यही हैं जीवन की परिभाषा.
खुशियाँ छुपी है छोटी-छोटी अरमानों में,
पता नही क्यों ढूढ़ते हैं इसे महंगी दुकानों में.
उस ख़ुशी का हिसाब कैसे हो,
जब वो पूछते हैं ‘जनाब कैसे हो’.