कंपनी कैसे शुरू करें? | Compnay registeration Kaise kare?

भारत में कंपनी रजिस्टर करने की प्रक्रिया (कंपनी कैसे शुरू करे )

(How to Start A Company and step by step guide to registering company India, in Hindi

Topics Heading

कंपनी वह सँस्था होती है, जो कुछ लोग मिलकर बनाते हैं, जिसका उपयोग विभिन्न तरह के सामान बेचने ,खरीदने के लिए या सेवाओं को देने लेने के लिए किया जाता है. आज के समय में भारत देश में बहुत तरह की कंपनी है कुछ ऐसी कंपनी है, जो नंबर वन पर है, लेकिन बहुत सी ऐसी कंपनी है, जो आज तक संघर्ष कर रही हैं, क्योंकि आज के समय में बाजार में इतनी अधिक प्रतियोगिता बढ़ गई है, कि कोई भी बाजार में संतुलन नहीं बना पा रहा है. आज हम आपको विस्तारपूर्वक बताएंगे कि कंपनी क्या होती है और वह किस तरह से कार्य करती है, साथ ही बताएंगे कंपनी के कितने प्रकार होते हैं.


कंपनी क्या है (What is a Company)

कुछ चुने हुए प्रशिक्षित लोग जब एक संगठन को मिलकर चलाते हैं, तो वह एक कंपनी कहलाती है. कंपनी में मौजूद शेयरधारकों द्वारा सामान बेचने व खरीदने के लिए या फिर सेवाओं का आदान प्रदान करने के लिए उस कंपनी का निर्माण किया जाता है. कुछ कंपनियां लाभकारी संगठन से जुड़ी होती है और कुछ कंपनियां गैर-लाभकारी संगठन के लिए भी कार्य करती हैं.

एक अकेला इंसान किसी भी कंपनी को नहीं चला सकता है, उसे उस कंपनी को चलाने के लिए कई सारे श्रमिकों,अधिकारियों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वे कई लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं. कंपनियों को हक होता है, कि वे दूसरी कंपनियों के शेयर खरीद कर उन्हें अपने नाम कर सकती हैं व जरूरत पड़ने पर दूसरी कंपनियों पर मुकदमा भी कर सकती हैं. इसके अतिरिक्त एक कंपनी अपनी पूंजी वृद्धि के लिए बाजार से पैसा उधार भी लेती है व अपने शेयर बेच कर पैसे इकट्ठा भी करती है. यदि कानूनी रूप से देखा जाए, तो सभी प्रकार की कंपनियों के पास समान अधिकार व जिम्मेदारियां होती हैं. साथ ही उनके पास जिम्मेदारी के तौर पर कुछ कानूनी नियम भी होते हैं, जिनका अनुसरण करना उनके लिए अनिवार्य होता है. यदि कोई भी कंपनी कानून के बनाए हुए नियमों का उल्लंघन करती है, तो वे उनके लिए दंडनीय अपराध होता है.

कंपनी के प्रकार (Types of Company)


आमतौर पर कंपनी के कई सारे प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है :-

एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company) :-


एक कंपनी सदस्यों के आधार पर भी बनाई जाती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अपना व्यवसाय आरंभ करने की ही सोच रहे होते हैं, पर उस समय उनके पास उपयुक्त पूंजी नहीं होती है. ऐसे में वे अकेले ही युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई कंपनी का अविष्कार करते हैं और अपने व्यवसाय को धीरे-धीरे बढ़ावा देते हैं.

निजी कंपनी (Private Limited Company):-


निजी कंपनी वह कंपनी होती है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड हो जाते हैं और एक अपनी अलग से कंपनी बनाते हैं. वे एक व्यवसाय निर्धारित कर लेते हैं और उससे जुड़ी सभी प्रशिक्षित वस्तुओं के बारे में जानकर एक कंपनी का आरंभ कर देते हैं.

सार्वजनिक कंपनी (Public Limited Company):-


एक ऐसी कंपनी जो कानूनी वस्तुओं के साथ न्यूनतम 7 सदस्यों की संख्या द्वारा बनाई जाती है, उसे सार्वजनिक कंपनी कहते हैं. इस कंपनी में अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं होती है, क्योंकि यह एक पंजीकृत कंपनी होती है. इस कंपनी को अपने शेयर स्वतंत्र रूप से बेचने व खरीदने की पूरी छूट होती है. कोई भी व्यक्ति जब सार्वजनिक कंपनी से जुड़ जाता है, तो वह भी सार्वजनिक कंपनी के अंतर्गत आ जाता है.

साझेदार कंपनी (Limited Liability partnership) :-


एक कंपनी ऐसी होती है जो कुछ साझेदारों द्वारा आरंभ की जाती है और चलाई भी जाती है. किसी भी कंपनी को चलाने के लिए 2 या उससे अधिक साझेदार उस कंपनी के मालिकाना हक को पाने के हकदार होते हैं.

कंपनी की विशेषताएँ (Company Features)

एक कंपनी भी एक व्यक्ति की तरह ही कार्य करती है जिस तरह से एक मनुष्य जन्म लेता है. ठीक उसी प्रकार एक कंपनी मनुष्य जन्म लेती है मतलब स्थापित की जाती है. जिस तरह मनुष्य का जीवन चलता है वह खाता है ,पीता है ,बढ़ता है और जीवन में दुख और सुख देखता है, ठीक उसी तरह एक कंपनी को भी अनेक प्रकार के दुख-सुख अर्थात हानि और लाभ भुगतने पड़ते हैं. जो उनको नुकसान भी पहुंचाते हैं तो फायदा भी दिलाते हैं.


स्वतंत्र कंपनी –

स्वतन्त्र कंपनी एक कंपनी की ऐसी विशेषता है. जिसके अंतर्गत कोई भी कंपनी अपने सदस्यों से अलग एक इकाई बनाती है. वह पूरी संपत्ति अपने नाम पर ही रख सकती है और किसी भी अनुबंध को कभी भी बना व बिगाड़ सकती है. उस कंपनी में कंपनी मालिक को इतनी स्वतंत्रता होती है कि वह दूसरों पर किसी भी तरह की गलती होने पर मुकदमा कर सकता है. व दूसरी कंपनियां भी उस कंपनी पर कोई परेशानी वाली स्थिति उत्पन्न होने पर मुकदमा कर सकती है.


सभी प्रभावों से दूर –

एक कंपनी ऐसी होती है जिस पर प्राकृतिक प्रभावों का कोई असर नहीं पड़ता है. सरल शब्दों में कहें तो किसी भी कंपनी के किसी भी सदस्य व संचालक की मृत्यु उसका पागलपन या संपत्ति रूप से वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के बाद भी एक कंपनी पर उस परिस्थिति का कोई असर नहीं पड़ता है.


सीमित दायित्व –

एक कंपनी में कई सारे सदस्य मौजूद होते हैं. जो उस कंपनी के शेयर वार्षिक रूप से अपने नाम पर लेकर उस कंपनी के सदस्य बनते हैं. कोई भी व्यक्ति जो कंपनी से शेयर लेता है उसकी पूरी गारंटी सिर्फ कंपनी द्वारा दी गई गारंटी तक सीमित होती हैं.


शेयर ट्रान्सफर सुविधा –

सार्वजनिक कंपनी में एक सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वह अपने द्वारा अपनाए गए शेयर को स्वतंत्रता पूर्वक किसी के हाथ में भी ट्रान्सफर कर सकते हैं. अब किसी परिस्थिति में यदि कोई कंपनी का मालिक अपने द्वारा लिए हुए शेयर को बेचना व खरीदना चाहता है तो वह भी विनिमय के माध्यम से अपने शेयर को खरीद व बेच सकता है.


स्वामित्व तथा प्रबंधन –

सामान्य तौर पर एक सार्वजनिक कंपनी में सदस्यों की संख्या और सीमित होती है इसका यही मतलब है कि एक सार्वजनिक कंपनी में काफी मात्रा में सदस्य मौजूद होते हैं. जो कंपनी में होने वाले प्रत्येक कार्य व प्रबंधन में दिन-प्रतिदिन भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. इसलिए एक कंपनी का प्रबंध संचालक मंडल तैयार किया जाता है जो पूरी तरह से कंपनी को संचालित करते हैं. कंपनी के सदस्यों द्वारा ही चुनाव प्रक्रिया के जरिए कंपनी के मुख्य संचालकों को चुना जाता है अतः उन्हें कंपनी के प्रबंधन का पूर्ण स्वामित्व प्रदान कर दिया जाता है.

कंपनी रजिस्ट्रेशन


अपनी कंपनी को रजिस्टर करना क्यों आवश्यक है


किसी भी एक कंपनी को सुचारु रुप से चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना ज़रुरी होता है. आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण की एक कंपनी को पंजीकृत कराने से आपको क्या फायदा होता है और आपको क्यों एक कंपनी पंजीकृत करनी चाहिए.

कंपनी का पंजीकरण कंपनी को मुख्य पहचान देता है:-

कोई भी कंपनी चलाने के लिए उसका पंजीकरण कराना बेहद आवश्यक होता है. क्योंकि वह कंपनी को एक विशिष्ट पहचान देता है. कंपनी कानूनी रूप से पंजीकृत करा ली जाती है तो वह आसानी से उपभोक्ताओं आपके उत्साह पर भरोसा दिलाने के लिए सक्षम हो पाती है.

कानूनी रुप से पंजीकृत कराने पर आपकी कंपनी को एक कानूनी नाम, पता व पहचान प्राप्त हो जाती है. यदि आप अपनी कंपनी अपने पसंदीदा नाम से पंजीकृत करा लेते हैं तो आपको यह भी पता चल जाता है कि इस नाम का उपयोग पहले कोई व्यक्ति अपनी कंपनी के लिए कर चुका है या नहीं और यदि आपने वह नाम अपने व्यवसाय के लिए चुन लिया है तो उस नाम को कोई भी व्यक्ति अपनी कंपनी के नाम के लिए उपयोग नहीं कर सकता है.


यह आपको व्यक्तित्व दायित्व से बचाता है :- जब आप एक कंपनी पंजीकृत करा लेते हैं भले ही वह आपके नाम पर क्यों ना हो, ऐसे में कंपनी में किसी भी होने वाले नुकसान की भरपाई आपको व्यक्तिगत रूप से नहीं करनी पड़ती है. सरल शब्दों में कहें तो किसी भी संपत्ति जैसे किसी भी भारी क्षति का मुकदमा अदालत में दायर तो किया जा सकता है, लेकिन एक पंजीकृत कंपनी के स्वामित्व रखने वाले व्यक्ति को इसका पूरी तरह जिम्मेदार नहीं माना जाता है.

यदि आपकी कंपनी पंजीकृत है तो मान लीजिए कि आपकी कंपनी पर कोई लोन बकाया है या फिर किसी कंपनी की राशि बकाया है जो आपको भुगतान करनी है, ऐसे में यदि आप भुगतान नहीं कर पाते हैं और आपकी कंपनी में कोई बड़ा नुकसान हो जाता है, तो इसकी भरपाई आपके घर की किसी भी वस्तु को बेचकर नहीं की जा सकती है क्योंकि आपकी कंपनी पंजीकृत है.


ग्राहकों को आकर्षित करना होता है आसान :- किसी भी कंपनी या उसके द्वारा निर्मित उत्पाद पर विश्वास करना किसी भी ग्राहक के लिए आसान नहीं होता, लेकिन कंपनी में मौजूद सदस्य उस उत्पाद को इतना आकर्षित बना देते हैं कि ग्राहकों को आकर्षित करना और उनको विश्वास दिलाना बेहद आसान हो जाता है.


अपनी कंपनी के लिए निवेशक से प्राप्त करना :-

किसी भी कंपनी को चलाने के लिए उसमें संपूर्ण वित्तीय राशि की आवश्यकता होती है. ऐसे में कोई भी एक व्यक्ति एक कंपनी को चलाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं जुटा सकता है और ना ही पर्याप्त साधन जुटा सकता है. ऐसे में कंपनी को कुछ निवेशकों की आवश्यकता होती है या फिर वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए किसी बैंक से लोन लेता है, जिसके लिए उस कंपनी का पंजीकृत होना बहुत आवश्यक है. यदि कोई कंपनी पंजीकृत नहीं होती है, तो ऐसी कंपनी में कोई भी निवेशक अपनी राशि निवेश नहीं करता है. एक निवेशक को अपनी कंपनी में निवेश के लिए निमंत्रण देने से पहले आपको अपनी कंपनी पंजीकृत करानी आवश्यक है.


व्यवसाय को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए :-

कुछ लोग छोटे पैमाने पर अपना व्यवसाय शुरू करते है, उस समय वह अपने व्यापार को पंजीकृत नहीं कराते हैं. ऐसे में वह अपना व्यवसाय कब तक चला पाएगा कब तक नहीं इस बात का कोई अंदाजा नहीं लगा पाता है. यदि आप अपना व्यवसाय लंबे समय तक चलाना चाहता है, और वह अपनी भविष्य की योजना पहले से ही तैयार रखता है तो उसके लिए आवश्यक है कि आप अपनी कंपनी पंजीकृत अवश्य करा ले.

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अपनी कंपनी को रजिस्टर कैसे करे?


किसी भी कंपनी को कानूनी रुप से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक प्रक्रिया अपनानी अनिवार्य है जो निम्नलिखित है :-

Comopany kaise suru karen

पहला चरण

भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय एक कोड नंबर जारी किया जाता है, जो DIN ((DIRECTOR IDENTIFICATION NUMBER) मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा एक यूनीक आईडेंटिफिकेशन कोड होता है.

उस कोड से एक व्यक्ति जो कंपनी का प्रबंधक बनना चाहता है, यह उसकी पहचान होती है.

इस कोड को प्राप्त करने के लिए आपको एमसीए पोर्टल पर जाकर इ-फॉर्म dir-3 भरना पड़ता है. जिसके लिए आपको 500 रुपए की एप्लीकेशन फीस भी जमा करनी होती है.

दूसरे चरण


दूसरे चरण में आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट DIGITAL SIGNATURE CERTIFICATE (DSC) प्राप्त करना होता है.

यदि आप चाहते हैं कि आपकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कार्य शीघ्रता से संपन्न हो तो आपको यह सर्टिफिकेट प्राप्त करना आवश्यक होता है. इसके बाद आपको बिजनेस रजिस्ट्रेशन करते समय एक फॉर्म भी भरना होता है,

एक कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए आपको डीएससी एक ऐसी कंपनी जो भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत होती है ,उसके ऑफिस में जाकर आपको अपनी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए आपना आवेदन भरना होता है.

इसे ( डीएससी ) भारत सरकार द्वारा प्राधिकृत थर्ड पार्टीज कंपनी जैसे टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर, एमटीएनएल ट्रस्टलाइन, e-mudra द्वारा प्रत्येक कंपनी के लिए उपलब्ध कराई जाते हैं.

यदि आप बीएससी द्वारा आवेदन भरते हैं तो आवेदन के समय होने वाला सारा खर्च कंपनी के आधार पर निर्भर करता है. e-mudra के अनुसार इसकी कीमत मात्र 899 रुपये रखी गई है.

तीसरे चरण


तीसरे चरण में आपको अपनी कंपनी किस नाम पर रजिस्टर करानी है, उस नाम को सबसे पहले आपको एमसीए पोर्टल के माध्यम से चेक कर लेना चाहिए, कि आप जिस नाम को रजिस्टर कराना चाहते हैं, वह पहले से किसी और कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड ना हो.

यदि आपके द्वारा सोचा गया नाम किसी भी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है, तो आप उस नाम को अपनी कंपनी का नाम रख सकते हैं उसके बाद आपको एक inc-1 फॉर्म भरना होता है. इसका सीधा और सरल मतलब यह होता है कि आपके द्वारा सोचा गया नाम आपकी कंपनी के लिए पंजीकृत किया जा चुका है, इस नाम का कोई और व्यक्ति उपयोग नहीं कर सकता है.

मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन


कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार एक कंपनी के लिए कुछ मुख्य नियम व कानून लागू किए गए हैं. उनके अनुसार कंपनी के पंजीकृत के समय मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन कंपनी के लिए दो मुख्य ऐसे व्यवसायिक डाक्यूमेंट्स हैं जिन्हें प्रत्येक कंपनी को प्राप्त करना आवश्यक है.

सामान्य तौर पर इन दोनों दस्तावेजों में एक कंपनी द्वारा पालन किए गए दिशा-निर्देश व नियम कानून का पूरा ब्यौरा दिया जाता है. जो कंपनीज एक्ट 2015 के अनुसार अनिवार्य है. कुछ मुख्य प्रकार के दस्तावेज बनाने के लिए वकील या चार्टर्ड अकाउंटेंट की आवश्यकता प्रत्येक कंपनी को पड़ती है.

इन दोनों दस्तावेजों का एक कंपनी के लिए अहम स्थान होता है इसलिए इनको एक प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में ही बनवाए.

चौथा चरण


इन सभी प्रक्रियाओं के बाद आपको एमसीए पोर्टल में जाकर एक और फॉर्म ( इनकारपोरेशन फॉर्म ) जमा कराना होता है इसके अंतर्गत यदि आप वन पर्सन कंपनी को पंजीकृत करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको ई-फॉर्म 2 INC-2 को उचित रूप से भरकर जमा कराना होगा.

इसके अलावा अन्य प्रकार की कंपनियों के लिए आपको ई-फॉर्म INC-7 भरना होगा.


रजिस्ट्रेशन फॉर्म की प्रक्रिया के दौरान आपसे एक राशि ली जाती है जिसे स्टांप ड्यूटी होती है.जब आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो आपको एक चालान के साथ स्टैम्प ड्यूटी के भुगतान के बाद एक दस्तावेज दिया जाता है

इसे आपको उस राज्य में कंपनी रजिस्टर्ड ऑफिस में दिखाना होता है जिस राज्य में आप अपनी कंपनी स्थापित करने वाले है.


इस पूरी प्रक्रिया के बाद जब आपके सभी दस्तावेज पूरे हो जाते हैं और आप पूरा फॉर्म भर लेते हैं उसके बाद आपके सभी दस्तावेजों की जांच पड़ताल की जाती है जिसमें लगभग 2 दिन का समय लग जाता है.

अब आपको इन-कोर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है . इन-कोर्पोरेशन सर्टिफिकेट आपकी रजिस्टर्ड इमेल id पर आपको एक हफ्ते के अंदर इन-कॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाता है.

जब आपको इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट आपकी ईमेल आईडी द्वारा प्राप्त हो जाता है तो उसकी एक फोटो कॉपी करा कर आपको अपने पास जरूर रख लेनी चाहिए, क्योंकि भविष्य में सभी महत्वपूर्ण कार्य में उस सर्टिफ़िकेट की आपको आवश्यकता होती है.


यदि आप अपनी कंपनी के नाम से एक चालू खाता किसी भी बैंक में खोलना चाहते हैं तो उसके लिए भी आपसे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की फोटो कॉपी की मांग की जाती है.


कंपनी की जब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब आप पैन कार्ड पंजीकरण के लिए एनएसडीएल ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन अवश्य भरे ताकि आप कंपनी के नाम पर एक पैन कार्ड पंजीकृत करा लें.


कंपनी रजिस्टर कराने के लिए अन्य आवश्यक दस्तावेज़ ( company registeration Required Documents)


कंपनी को पंजीकृत कराने के लिए एक कंपनी में मौजूद सभी प्रबंधकों के पहचान प्रमाण पत्र और साथ ही उनके पता प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी आवश्यक होती है.
अन्य प्रमाण पत्रों के साथ कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय सभी प्रबंधको के पैन कार्ड की फोटो कॉपी होना भी अनिवार्य है.


यदि आपने ऑफिस के लिए अपनी जमीन खरीदी है तो उसका प्रमाण पत्र अन्यथा यदि आपने ऑफिस के लिए कोई जमीन गिरवी पर या फिर किराए पर ली है तो उसके प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी भी रजिस्ट्रेशन के समय आवश्यक होती है.


यदि आपने कोई जमीन किराए पर ली है तो उसके मालिक द्वारा प्राप्त नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी आपके पास होना अनिवार्य है.


जो व्यक्ति कंपनी को पंजीकृत कराना चाहता है उसका पहचान प्रमाण पत्र और उसकी पंजीकृत ई-मेल id का प्रमाण पत्र भी वहां पर प्रस्तुत करना अनिवार्य है.


कंपनी रजिस्ट्रेशन के समय कंपनी का मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति के बैंक की स्टेटमेंट की फोटो कॉपी और अन्य किसी भी प्रकार के बिल की फोटोकॉपी भी जमा करानी अनिवार्य होती है.


भारत में किसी भी कंपनी को स्थापित करने में ज्यादा समय नहीं लगता है, पहले उसको पंजीकृत कराने में अधिक समय लगता था. लेकिन वर्तमान समय में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है.

किसी भी कंपनी को पंजीकृत कराए बिना आप उसमें सफल व्यवसाय नहीं कर सकते हैं, इसलिए यदि आप किसी भी कंपनी की नींव रख रहे हैं तो उसके साथ ही उसको पंजीकृत अवश्य करा ले.

पंजीकरण के बाद आप भविष्य में जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं. एक कंपनी एक अकेले इंसान से नहीं बल्कि कंपनी के सभी प्रबंधको के सहयोग से चलाई जाती है. उसी कंपनी को दीर्घकालिक रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान उस कंपनी से जुड़े हुए उपभोक्ता निभाते हैं.

FAQ
Q : किस तरह की कंपनी बनानी चाहिए ?
Ans : किसी भी कंपनी को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है और यदि वही आपके पास नहीं है, तो ऐसे में आप एकल स्वामित्व वाली कंपनी चलाकर अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. यदि आप अपने व्यापार को एक बृहद रूप देना चाहते हैं तो आप एक निगम रुप से अपना व्यापार आरंभ कर सकते हैं.

Q : एक कंपनी कहां पर स्थापित करनी चाहिए ?
Ans : कंपनी की स्थापना ऐसी जगह पर होनी चाहिए जहां पर आपको कंपनी की जरूरत के हिसाब से सभी वस्तुएं आराम से उपलब्ध हो सके. ऐसी जगह पर आपको परेशानी भी कम होगी और आपको शुल्कों भुगतान भी कम करना होगा.

Q : आरंभ में व्यवसाय का आकार क्या होना चाहिए ?
Ans : आरंभ में व्यवसाय का आकार आपकी पूंजी व आपकी क्षमता पर निर्भर होना चाहिए.

Q : व्यवसाय आरंभ करते समय व्यवसाय की मुख्य चुनौतियां क्या है ?
Ans : पूँजी और नकदी प्रवाह की कमी, व्यवसाय के लिए एक अच्छी योजना, अच्छी सेवा और उत्पाद का चुनाव, अपेक्षा से अधिक काम करना, आपके उत्पाद के लिए वह कोई आलोचना, अच्छे कर्मचारी ढूंढना, समय प्रबन्धन, कार्य व जीवन के बीच संतुलन बनाना.

Q: क्या कंपनी के लिए परमिट लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकता जरूरी है ?
Ans : एक कंपनी को संगठित करना इतना मुश्किल काम होता है, परंतु उसका रजिस्ट्रेशन कार्य कराना कोई ज्यादा मुश्किल कार्य नहीं है. किसी भी कंपनी का रजिस्ट्रेशन आपके भविष्य को सुरक्षित करने के काम आता है इसलिए कंपनी का रजिस्ट्रेशन और उसके लिए परमिट व लाइसेंस लेना बेहद आवश्यक होता है.

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