Hazrat ali quotes in hindi | hazrat ali quotes hindi

क़ब्रिस्तान ऐसे नौजवानों से भरे हुए है जो बुढ़ापे में तौबा करने के ख्वाईशमंद थे

Hazrat Ali Quotes in hindi

खुदा की नज़र में जिस इंसान की इज़्ज़त ज़्यादा होती जाती है उस इंसान का इम्तेहान भी उस क़दर ज़्यादा और सख्त होता जाता है.

किसी के ख़ुलूस और प्यार को उसकी बेवकूफी मत समझो.

जो तुमको ख़ुशी में याद आये समझो तुम उससे मोहब्बत करते हो और जो तुमको ग़म में याद आये समझो वो तुमसे मोहब्बत करता है

मुख्लिस दोस्त के अंदर प्यार छुपा रहता है जैसे एक छोटे से बीज के अंदर पूरा दरख़्त छुपा होता है.

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नमाज़ की फ़िक्र अपने ऊपर फ़र्ज़ करलो..!! खुदा की कसम दुनिया की फ़िक्र से आज़ाद हो जाओगे,और क़ामयाबी तुम्हारे क़दम चूमेंगी

हजरत अली की प्यारी बाते

दुनिया का अमीर शक़्स वो है जिसके दोस्त मुख्लिस हो.

ऐसे शक़्स को कभी मत गवाना जिसके दिल में तुम्हारे लिए मोहब्बत, फ़िक्र, इज़्ज़त और चाहत हो

कोई कमज़ोर शक़्स तुम्हारी बेइज़्ज़ती करे उसे बक़्श कर दो, क्यूंकि बहादुरों का काम माफ़ कर देना है, और माफ़ करने वाला अल्लाह को बहोत पसंद है.

तौबा रूह का गुश्ल है – तौबा जितनी बार किया जाए रूह में उतना निखार पैदा होता है.

अगर कोई आपकी फ़िक्र करता है तो उसकी कदर करो, क्यूंकि दुनिया में तमाशाई बहोत ज़्यादा और फ़िक्र करने वाले बहोत कम होते है.

अक्लमंद है वो शक़्स जो अंजाम सोच कर काम करे.

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किसी ने हजरत अली से पुछा. दोस्त और भाई में क्या फर्क है.? हजरत अली ने फरमाया “भाई सोना है और दोस्त हीरा है” उस आदमी ने कहा “आप ने भाई को कम कीमतऔर दोस्त को ज्यादा कीमती चीज़ से क्यू तशबीह दी “? तो हजरत अली ने फरमाया “सोनेमें दरार आ जाये तोउस को पिघला कर बिलकुल पहले जैसा बनाया जा सकता है. जब की हीरे में एक दरार भी आ जाये तो वोकभी भी पहले जैसा नही बन सकता.

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लोगों से याद न करने का शिकवा मत करो, क्यूकी जो इंसान अपने रब को भूल सकता है,वो किसी को भी भूल सकता है.

ग़ीबत करना कमज़ोर आदमी की आखिरी कोशिश होती है.

लोग 2 तरह के होते है एक सखी जिनके पास पैसा नहीं होता है और और दूसरे मालदार जो किसी की हाजत रवाई नहीं करते है.

दिल में बुराई रखने से बेहतर है नाराज़गी ज़ाहिर कर दो.

जिस जुबां से झूठ निकलना बंद हो जाए – उस ज़ुबान से निकली हुई हर दुआ क़ुबूल होती है.

प्यास न हो तो पानी की कोई कीमत नहीं होती है, मोंत नहीं होती तो ज़िन्दगी की कोई कीमत नहीं होती और विश्वास ना हो तो दोस्ती की कोई कीमत नहीं होती.

सूरत और सीरत (चरित्र) में सबसे बड़ा फर्क ये हे की सूरत धोका देती है जबकि सीरत पहचान करवाती है.

तुम्हे हुक्म दिया गया है की तुम अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और तुम्हे इसलिए बनाया गया है ताकि तुम अच्छे कर्म करो.

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