लम्हा शायरी | Lamha Shayari

जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलें
नयी दुनिया बसाने को चलो एक साथ चलें
हम जीवन का हर लम्हा तुम्हारे नाम करे ,
यही वादा निभाने को चलो एक साथ चलें

यादो ने करवट बदला है
और मैं तनहा तनहा सा हूँ,
वक़्त भी मुझसे रूठ गया है
मैं वही बेबस लम्हा हूँ।

इस दिल को गर तेरा एहसास ना होता,
तू दूर भी रह कर के यहां पास नहीं होता,
इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसा लिया है,
एक लम्हा भी तेरे बिन खास ना होता।

तेरी आवाज़ सुनने को तरश्ता है मेरा दिल ,
तेरी एक झलक पाने को बेकरार है मेरा दिल ,
अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा तेरे साथ गुज़ारू,
हर पल बस यही चाहता है मेरा दिल ।

हरदम गुमसुम रहने वाला नग्मा हूँ मैं,
तेरी यादो में रहने वाला लम्हा हूँ मैं,
तुम मेरी जान हो तो एक बात बताओ,
तेरे होते हुए भी क्यों तन्हा हूँ मैं।

लाख बंदिशें लगा ले जमाना हम पर,
मगर धड़कन पर काबू नहीं कर पाएंगे,
वो लम्हा आखिरी होगा ज़िन्दगी का हमारा,
जिस दिन हम यारा तुझे भूल जायेंगे।

हर लम्हा अपनी पलकों पर बिठाया है तुझे,
फिर भी ये इश्क़ मेरा न रास आया है तुझे,
किस्मत की भी है यह अजीब दास्ताँ,
थोड़ा हसाया तो कभी रुलाया है मुझे।

यादें करवट ले रही हैं
मैं तनहा तनहा सा हूँ,
वक़्त भी रूठ गया है मुझसे
मैं वो बेबस लम्हा हूँ।

बस गए हो दिल में इस कदर तुम हमारे,
किसी और शख्स का खाब तक नहीं आता,
गुजर जाती हैं रातें खुली आँखों में,
दिल को एक लम्हा भी चैन नहीं आता।

मेरा हर लम्हा चुरा लिया तूने
आँखों को एक चाँद दिखा दिया तूने ,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यार इतना देकर जीना सिखा दिया तूने ।