Best and Trending Shringar Shayari of 2021
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2 Line Shringar Shayari & Poetry:
मैं एक दर्पण बन जाऊं
जब तू करे श्रृंगार प्रिये।
कानों का कर्णफूल बनूँ
माथे की बिंदिया सज जाऊँ
तेरे रूप का प्रतिरूप बनूँ
जब तू करे श्रृंगार प्रिये।
झील सी आंखों की गहराई,
अधरों की लाली बन जाऊँ
तेरे बिम्ब का प्रतिबिंब बनूँ
जब तू करे श्रृंगार प्रिये।
हाथों का कंगना बन जाऊँ
ज़ुल्फों पर वेणी सज जाऊं
तेरी छाया की प्रतिछाया बनूँ
जब तू करे श्रृंगार प्रिये।
मैं एक दर्पण बन जाऊं
जब तू करे श्रृंगार प्रिये।
तेरे श्रृंगार मे शामिल हो मेरा भी हिस्सा,
तेरे चेहरे पर मैं भी कहीँ तिल हो जाऊँ.
शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार
मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार !!
मीठी बोली से करते, सब…
धरती का श्रृंगार ना छूटे, मिटे ना नभ की लाली।
जिस भारत के गौरव की, “अशोक ” ने की थी रख वाली।
बिन तेरे हर श्रृंगार फ़िज़ूल हैं…
तेरा होना ही मेरे चहरे का नूर हैं…!!
जब जब करो श्रृंगार प्रिये -नीरज कुमार नीर
जब जब करो श्रृंगार प्रिये मैं एक दर्पण बन जाऊँ। मैं बनूँ प्रतिबिंब तुम्हारा ओढ़ लूँ माधुर्य सारा लालिमा तेरे अधर की नैन का अंजन बन जाऊँ जब जब करो श्रृंगार… वेणी में बन सजूँ बहार बन जाऊँ सोलह श्रृंगार अनुपम रूप तुम्हारा प्राण हार इक चंदन बन जाऊँ। जब जब करो श्रृंगार… तुम्हारे पायल की रुनझुन मोहिनी गीतों की गुनगुन बनकर दमकूँ मैं कुमकुम कुंडल कुंदन बन जाऊँ जब जब करो श्रृंगार… टहक लाली सूर्ख महावर टूट सके ना जीवन भर माँग मध्य अमर सिंदूर अमिट इक बंधन बन जाऊँ जब जब करो श्रृंगार… तुम्हारे गजरे में महकूँ हँसी में तुम्हारी चहकूँ तुम्हारे अंतस बसूँ सदा दिल की धड़कन बन जाऊँ जब जब करो श्रृंगार प्रिये मैं एक दर्पण बन जाऊँ |