फ़राज़ की शायरी- ahmad faraz shayari in hindi : फ़राज़ ने उर्दू शायरी को एक बहुत नर्म और नाज़ुक अहसास दिए हैं फ़राज़ साहब का ख़ानदानी ताल्लुक सूफी परंपरा से जुड़ता है और वह कोहाट के मशहूर संत हाजी बहादुर के वंशज है ।
ख़ुदा का यह ज़िक्र फ़राज़ की ग़ज़लों में कई दफ़ा आता है और हर बार इसी अंदाज़ से आता है। फ़राज़ इश्क में हद तक जाते हैं उनकी शायरी में घुमा-फिराकर बात करने की जगह नहीं है। वह अपने तसब्बुर में अपनी प्रेमिका को पागलपन में देखते हैं
faraz shayari in hindi
बड़ी मुश्किल से सुलाया था खुद को “फ़राज़” मैंने आज
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच दे कर
badi mushkil se sulaya tha khud ko faraz maine aaj
apni ankhon ko tere khwaad ka lalach dekar
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
ranjish hi sahi dil hi dukhane ke liye aa
aa fir se mujhe chor ke jaane ke liye aa
यही सोच कर उस की हर बात को सच माना है “फ़राज़ “
के इतने ख़ूबसूरत लव झूट कैसे बोलेंगे .
yahi soch kar us ki har baat ko sach mana hai faraz
ke itne khbusurat lab jhut kaise bolenge
dil ko teri chahat pe bharosa bhi bahut hai
aur tujh se bichhad jaane ka Dar bhi nahin jaata
faraz ki shayari
kis kis ko bataenge judai ka sabab ham
tu mujh se khafa hai to zamane ke liye aa
तेरे लहजे की थकन में तेरा दिल शामिल है
ऐसा लगता है जुदाई की घड़ी आ गई दोस्त
tere lehze ki thakan me tera dil shaamil hai
aisa lagta hai judai ki ghadi aa gayi dost
जख़्म को फूल तो सरसर को सबा कहते हैं
जाने क्या दौर है, क्या लोग हैं, क्या कहते हैं
jakhm ko ful to sarsar ko saba kehte hain
jaane kya daur hai ,kya log hain,kya kehte hain
hua hai tujh se bichhadne ke baad ye maalum
ki tu nahin tha tire saath ek duniya thi
ahmad faraz poetry in hindi
faraz poetry
दोस्तों ने किया कहाँ से गुरेज
इब्तदा की तेरे कसीदे की
अब मुश्किल करू कहाँ से गुरेज
में वहाँ हूँ जहाँ जहाँ तुम हो
तुम करोगे कहाँ कहाँ से गुरेज
कर गया तेरे मेरे किस्से मैं
दास्ताँ वो जहाँ वहाँ से गुरेज
tum takalluf ko bhi ikhlas samajhte ho ‘faraz’
dost hota nahin har haath milaane waala
zindagi se yahi gila hai mujhe
tu bahut der se mila hai mujhe
aankh se duur na ho dil se utar jaega
waqt ka kya hai guzarta hai guzar jaega
ahmad faraz shayari collection in hindi
हम पे फ़क़त इलज़ाम के हम हैं ज़ुबान दर्ज़ “फ़राज़”
हम ने तो बस कहा था हमें तुम से प्यार है
वो बेवफा न था यूं ही बदनाम हो गया ” फ़राज़ “
हज़ारों चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करता वो
4 line shayari by faraz
तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है
के हम को तेरा नहीं इंतज़ार अपना है
मिले कोई भी तेरा ज़िकर छेड़ देते हैं
के जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है
वो दूर हो तो बजा तर्क -ऐ -दोस्ती का ख्याल
वो सामने हो तो कब इख्तियार अपना है
ज़माने भर के दुखों को लगा लिया दिल से
इस आसरे पर के इक गमगुसार अपना है
“फ़राज़” राहत-ऐ-जान भी वही है क्या कीजिये
वो जिस के हाथ से सीनाफिगार अपना है
faraz shayari in hindi
is se pahle ki bewafa ho jaaen
kyuun na ai dost ham juda ho jaaen
प्यार में एक ही मौसम है बहारों का “फ़राज़”
लोग कैसे मौसमों की तरह बदल जाते है
pyaar me ek hi mausam hai baharon ka faraz
log kaise mausamo ki tarah badal jaate hain
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे “फ़राज़”
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद
Akele to hum pehle bhi jee rahe the “Faraz”
Kyun Tanha se ho gaye hain tere jane ke baad
ahmad faraz ki shayari
तेरा न हो सका तो मर जाऊंगा “फ़राज़ “
कितना खूबसूरत वो झूट बोलता था
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ ‘”फ़राज़”‘
हम जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा …
किस की क्या मजाल थी जो कोई हम को खरीद सकता “फ़राज़”
हम तो खुद ही बिक गए खरीदार देख कर
कौन देता है उम्र भर का सहारा ऐ “फ़राज़’
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं
kisi ko ghar se nikalte hi mil gai manzil
koi hamari tarah umr bhar safar men raha
faraz shayari on life
यह वफ़ा तो उन दिनों की बात है “फ़राज़”
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे
ahmad faraz ghazal in hindi
कुछ इश्क़ का नशा था पहले हम को “फ़राज़”.
दिल जो टूटा तो नशे से मोहब्बत हो गई .
हम उन से मिले तो कुछ कह न सके “फ़राज़”
ख़ुशी इतनी थी के मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई
ऐसा डूबा हूँ तेरी याद के समंदर में “फ़राज़”
दिल का धड़कना भी अब तेरे कदमों की सदा लगती है
Aise dooba hoon teri yaad ke samandar me “Faraz”
Dil ka dhadakna bhi ab tere kadmon ki sda laggti hai
aaj ik aur baras biit gaya us ke baghair
jis ke hote hue hote the zamane mere
ahmad faraz in hindi
बेनयाज़े-ग़मे- पैमाने-वफा हो जाना
तुम भी औरों की तरह मुझ से ज़ुदा हो जाना
हर एक से कौन मुहब्बत निबाह सकता है
सो हमने दोस्ती-यारी तो की वफ़ा नहीं की
हमेशा से वफा कारे-जियां है
मगर अपनी नज़र अंजाम पर नहीं
मैं क्या बताऊँ कि क्यों उसने बेवफाई की
मगर यही कि कुछ ऐसा मिज़ाज उसका था
faraz sher
aur ‘faraz’ chahiyen kitni mohabbaten tujhe
maaon ne tere naam par bachchon ka naam rakh diya
faraz ahmed shayari
ham ko achchha nahin lagta koi hamnam tira
koi tujh sa ho to phir naam bhi tujh sa rakkhe
खाली हाथों को कभी गौर से देखा है फ़राज़
किस तरह लोग लकीरों से निकल जाते हैं
ahmad faraz poetry in english
Khaali haathon ko kabhi gaur se dekha haim Faraz
Kis tarah log laqiron se nikal jate hai
is zindagi men itni faraghat kise nasib
itna na yaad aa ki tujhe bhuul jaaen ham
ab aur kya kisi se marasim badhen ham
ye bhi bahut hai tujh ko agar bhuul jaaen ham
मुझसे पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा उसने
शायद अब भी तेरा ग़म दिल से लगा रखा हो
ahmed faraz poetry in hindi
एक बेनाम सी उम्मीद पे अब भी शायद
अपने ख्वाबों के जज़ीरों को सजा रखा हो
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान होता “फ़राज़”
जिस्म से रूह को लेने कभी फरिश्ते न आते
ahmad faraz best shayari
हम उन से मिले तो कुछ कह न सके “फ़राज़ ”
ख़ुशी इतनी थी के मुलाक़ात आँसू पोंछते ही गुज़र गई
लोग पत्थर के बूतों को पूज कर भी मासूम रहे “फ़राज़”
हम ने एक इंसान को चाहा और गुनहगार हो गए
वो अब हर एक बात का मतलब पूछता है मुझसे “फ़राज़”
कभी जो मेरी ख़ामोशी की तफ्सील लिखा करता था
bandagi ham ne chhd di hai faraz
kya karen log jab ḳhudā ho jaaen
ahmed faraz poetry in hindi
us ko juda hue bhi zamana bahut hua
ab kya kahen ye qissa purana bahut hua
Dhundhe ujde hue logon men vafa ke moti
ye ḳhazane tujhe mumkin hai kharabon men milen
ab dil ki tamanna hai to ai kaash yahi ho
aansū ki jagah aankh se hasrat nikal aae
ab tak dil-e-khush-fahm ko tujh se hain umiden
ye akhiri shamen bhi bujhane ke liye aa
suna hai us ke badan ki tarash aisi hai
ki phuul apni qabaen katar ke dekhte hain
ahmad faraz 2 line shayari
main kya karun mire qatil na chahne par bhi
tire liye mire dil se dua nikalti hai
is qadar musalsal thin shiddaten judai ki
aaj pahli baar us se main ne bevafai ki
हमे तो प्यार की गहराइयाँ मालूम करनी थी “फ़राज़”
यहाँ नहीं डूबता तो कहीं और डूबे होते
उँगलियाँ आज भी इस सोच में गुम हैं “फ़राज़”
उस ने कैसे नया हाथ थामा होगा.
teri baten hi sunane aae
dost bhi dil hi dukhane aae
chala tha zikr zamane ki bewafai ka
so aa gaya hai tumhara ḳhayal vaise hi
ahmad faraz sad shayari hindi
kuchh is tarah se guzari hai zindagi jaise
tamam umr kisi dusre ke ghar men raha
guftugu achchhi lagi zauq-e-nazar achchha laga
muddaton ke baad koi ham safar achchha laga
faraz shayari on love
मैं जो महका तो मेरी शाख जला दी उस ने “फ़राज़”
सर्द मौसम में मुझे जर्द हवा दी उस ने
लोग कहते हैं के मुलाक़ात नहीं हुई ” फ़राज़ “
हम तो रोज़ मिलते हैं लेकिन बात नहीं होती
तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हजारों हैं “फ़राज़”
हम ही पागल थे जो तुम्हे पा के इतराने लगे
Tumhari Duniya me hum jaise hazaron hai “Faraz”
Hum hi pagal the jo tumhe pa ke itraane lage
मुसाफिरत में भी तस्वरी घर को देखती है
कोई भी ख़्वाब हो तो ताबीर घर को देखती है
faraz two line shayari
वतन से दूर भी आज़ादियां नसीब किसे
क़दम कहीं भी हो जंज़ीर घर को देखते हैं
फ़राज़ जब कोई नामा वतन से आता है
तो हर्फ़-हर्फ़ में तस्वीर घर को देखते हैं
कभी नदिया जैसे बोल कहे कभी सागर जैसा शोर करे
तेरा भेद भरा लहजा न खुले तेरी सारी कविताएं है अजब
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