मेरे बचपन की यादें Bachpan ki Yaden Shayari status in Hindi ,Bachpan Shayari, 2 lines Shayari on Bachpan ,Shayari on Bachpan, heart touching Bachpan Shayari, childhood attitude status in Hindi, Bachpan ki yaadein Shayari
Bachpan Shayari
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
बशीर बद्र
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई
कैफ़ी आज़मी
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
जोश मलीहाबादी
फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं
मुनव्वर राना
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
सिराज फ़ैसल ख़ान
दूर मुझसे हो गया बचपन मगर
मुझमें बच्चे सा मचलता कौन है
राजेन्द्र कलकल
मेरे दिल के किसी कोने में, एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया, बड़ा होने से डरता है
राजेश रेड्डी
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे
अज्ञात
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है
शकील जमाली
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
बचपना वो बचपन का, मुझको जब याद आता है..
खुशियों की लहर सी उठती है, मन मेरा मचल सा जाता है
Childhood poetry in Hindi
मन में बसता था भोलापन बचपन में , दिल में रहती थी नादानी
खुशियों से उछल हम पड़ते थे, जब चलती थी अपनी मनमानी
हर कोई अपना लगता था, मन में कोई भी बैर ना था
हर किसी से थी अपनी यारी, उस वक़्त कोई भी गैर ना था…
ना समझदारी का दलदल था, न मन में थी कोई बेईमानी…
मन बिलकुल पारदर्शी था, जैसे हो स्वच्छ शुद्ध पानी…
एक चाहत है भगवान मुझे सच्चा बना दो,
लौटा दो बचपन मेरा मुझे सच्चा बना दो।।
चलो फिर से बचपन में जाते हैं
खुद से बड़े सपने सजाते हैं
सबको अपनी धुन पर नचाते हैं
साथ हंसते हैं, थोड़ा खिलखिलाते हैं
जो खो गयी है बेफिक्री, उसे ढूंढ लाते हैं
चलो, बचपन में जाते हैं।।
bachpan short kavita
बचपन की बात ही कुछ और थी,
जब घाव दिल पर नही हाथ-पैरों पर हुआ करते थे,
जब आँसू छुपाने के लिए तकिया नही माँ का आँचल जरूरी होता था,
जब रोने के लिए नींद नही नींद के लिए रोया करते थे,
जब ख़ुशी प्यार के चंद पलों में नही अच्छे गुण मिलने पर होती थी,
जब डर दिल के टुकड़े होने का नही पेन्सिल की नोख टूटने का होता था,
जब घबराहट नए चेहरों की नही नए शिक्षकों की होती थी,
जब संभलने के लिए एकांत वक़्त नही माँ की बाते होती थी,
बचपन तो बीत गया पर बचपना कभी बितना नही चाहिए ।
वो बचपन क्या था,जब हम दो रुपए में जेब भर लिया करते थे।
वो वक़्त ही क्या था,जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे।
आओ भीगे बारिश में
उस बचपन में खो जाएं
क्यों आ गए इस डिग्री की दुनिया में
चलो फिर से कागज़ की कश्ती बनाएं।
बचपन में ही अपने छोड़ कर चले गए।।
आँख खोलि तो सपने छले गए।।
बाल मजदूरी उनका शौक नहीं हैं ,उनकी मजबूरी हैं |
नियम बनाने से कुछ नहीं होगा हल ढूंढना जरुरी हैं।
जेबों में उड़ने के सपने लिए वो अकेले जल रहे,
ईंटों के भट्ठौ में तपकर, अपने पेट भर रहे।
Bachpan ki yaadein Shayari
क्या चाहेगा कोई ऐसा बचपन?
ढोता हो कंधे पे भार, कहीं ढाबे में बरतन धोएं,
कभी बाल कृषक बनकर, किसी कोने में बैठ रोएं।
बड़ा शहर हो या छोटा गांव,
हर गली नुक्कड़ पर ये करते काम।
खाने की तलाश में, कूड़ा घर के पास में,
खेलने की उम्र में धूप में तपता जल रहा,
किताब-कलम से दूर क्षितिज पर ,
अपनी किस्मत के अंगारों से लड़ रहा।
उसके कोमल हाथों में है फावड़ा-कूदाल,
अपने अरमानों को वो रहा इस जीवन में ढाल।
देश की तरक्की में बाल- मजदूरी का तमाचा लगाता,
कि कैसे एक बचपन इस निर्ममता में खो जाता।
ग़रीबी से जूझ कर कहीं अपनी ही बेटी को बेचा जाता।
आलेख 24 और 39 को कोई समझ ना पाता।
अधिनियम तो बना दिए, क्या इन पर अमल किया गया?
नंगी ज़मीं खुलें आसमां के नीचे कैसे एक बचपन सो गया।।
Bachpan Shayari in hindi 2024
काश मैं लौट जाऊं…
बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगी
जब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था!
जब दिल ये आवारा था,
खेलने की मस्ती थी।
नदी का किनारा था,
कगज की कश्ती थी।
ना कुछ खोने का डर था,
ना कुछ पाने की आशा थी।
कुछ अपनी हरकतों से,
तो कुछ अपनी मासूमियत से,
उनको सताया था मैंने,
कुछ वृद्धों और कुछ वयस्कों को,
इस तरह उनके बचपन से मिलाया था मैंने।
माना बचपन में, इरादे थोड़े कच्चे थे।
पर देखे जो सपने, सिर्फ वहीं तो सच्चे थे।
आसमान में उड़ती…
एक पतंग दिखाई दी…
आज फिर से मुझ को..
मेरी बचपन दिखाई दी..
बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
कोई तो रूबरू करवाए बेखौफ बीते हुए बचपन से..मेरा फिर से बेवजह मुस्कुराने का मन है..!!
दिल अब भी बचपना है
बचपन वाले सपने
अब भी ज़िंदा हैं!
बचपन से बुढ़ापे का बस इतना सा सफ़र रहा है
तब हवा खाके ज़िंदा था अब दवा खाके ज़िंदा हूँ।।
ईमान बेचकर बेईमानी खरीद ली
बचपन बेचकर जवानी खरीद ली
न वक़्त, न खुशी, न सुकून,न आराम
सोचता हूँ ये कैसी जिन्दगानी खरीद ली!
hindi Bachpan Shayri
छोटी -नन्हीं यादों सा था बचपन…
न जाने कब बढ़ा हो गया
😔😔😔
बचपन समझदार हो गया,
मैं ढूंढता हू खुद को गलियों मे।।
बचपन में लगी चोट पर मां की हल्की-हल्की फूँक
और कहना कि बस अभी ठीक हो जाएगा!
वाकई अब तक कोई मरहम वैसा नहीं बना
इतनी चाहत तो लाखो रुपए पाने की भी नहीं होती ,
जितनी बचपन की तस्वीर देखकरबचपन में जाने की होती है …..
ये वक़्त उम्र छीन सकता है मेरी मुझसे
पर मेरा बचपना😋कभी कोई नही छीन सकता है🥳
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी…
पर समय सबके पास था!
आज सबके पास घड़ी है
पर समय किसी के पास नहीं!
वास्तविकता को जानकर,
मेरा भी सपनों से समझौता हुआ,
लोग यही समझते रहे,
लो एक और बच्चा बड़ा हुआ।
कौन कहता है कि…
बचपन वापस नही आता
दो घड़ी अपनी माँ के पास
बैठ कर तो देखो
खुद को बच्चा महसूस ना करो
तो फिर कहना..
माँ-पापा होते मेरे, बाहर दिनभर..
थक जाऊँ, उनका इंतज़ार कर;
वक्त बिताऊँ, गुमसुम मैं घर पर।
पापा भी तो मेरे, हैं कितने प्यारे..
बड़े अच्छे, लाते ढेर सारे खिलौने;
पर रोज देर से आते, कितने थक कर।
सब कुछ तो हैं, फ़िर क्यों रहूँ उदास..
तेरे जैसा मैं भी बन पाता मनमौजी;
लतपत धूल-मिट्टी से, लेता खुलकर साँस।
बचपन में…
जहां चाहा हंस लेते थे, जहां चाहा रो लेते थे!
पर अब…
मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई!
जिंदगी जब भी सुकून दे जाती है,
ए बचपन हमें तेरी याद आती है
खूबसूरत था इतना के महसूस भी ना हुआ . . .
कब, कहाँ, कैसे . .मेरा बचपन बीत गया . . .
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर….
वो बचपन कीअमीरी न जाने कहां खो गई
जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे…
वो क्या दिन थे…
मम्मी की गोद और पापा के कंधे,
न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे,
न कल की चिंता और न फ्यूचर के सपने,
अब कल की फिकर और अधूरे सपने,
मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने,
मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए,
न जाने क्यूँ हम इतने बड़े हो गए,
गाँवो में है
फटेहाल नौनीहाल
व भूखा किसान
फिर भी हुक्म के तामील में
लिख रहे मेरा भारत महान
Bachpan Kya Tha Shayari
बचपन का वो दिन और सुहानी रातें
चूरन की गोलियां हंसी मजाक की बातें
ना कोई फासले दिल में ना रिश्तो की दीवार,
होती थोड़ी शैतानियां थोड़ी सी तकरार
ना कोई चिंता भविष्य की ना कोई परवाह
ऐ खुदा ले चल मुझे फिर से उसी राह
सावन के झूले, फूलों की वह डाल,
हंसते मुस्कुराते गुजरता था बचपन का हर साल
खबर ना थी धूप की ना शाम का ठिकाना था
बारिश में कागज की नाव और पानी का बौछारा था,
जिंदगी में आगे निकलने की ना होड़ थी
हाथ में पतंग का मांजा और सफेद डोर थी,
वो ताजी हवा,मीठा पानी और वो खुशहाली
वो गन्ने का रस, आम की कैरियां और वो हरियाली
इंद्रधनुष के प्यारे रंग और ध्रुव तारा था
सोच कर देखो जरा बचपन कितना प्यारा था।
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त बचपन वाला इतवार अब नहीं आता
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी
रोने की वजह भी न थी न हंसने का बहाना था क्यो हो गए हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था…..
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से, वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं..
आते जाते रहा कर ए दर्द तू तो मेरा बचपन का साथी है
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन ..!! सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी ..!!
बचपन शायरी:
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश… तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की…!!
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी जवानी का लालच दे के बचपन ले गया !!
लगता है माँ बाप ने बचपन में खिलौने नहीं दिए, तभी तो पगली हमारे दिल से खेल गयी !!
बचपन से हर शख्स याद करना सिखाता रहा,भूलते कैसे है ? बताया नही किसी ने…..
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब; शायद मेरा बचपन, खत्म होने को है!
bachapn ki dosti shayari
बचपन की दोस्ती शायरी इस प्रकार हैं|
वो क्या दिन थे… मम्मी की गोद और पापा के कंधे, न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे, न कल की चिंता और न फ्यूचर के सपने, अब कल की फिकर और अधूरे सपने, मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने, मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए, न जाने क्यूँ हम इतने बड़े हो गए|
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे…
वो बचपन की अमीरी न जाने कहां खो गई जब पानी में हमारे भी जहाज चलते थे…
अब तक हमारी उम्र का बचपन नहीं गया घर से चले थे जेब के पैसे गिरा दिए
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
bachpan ka pyar shayari
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे
कोई मुझको ? लौटा दे वो बचपन का सावन, ? वो कागज की कश्ती वो बारिश ? का पानी।
रोने की ? वजह ना थी, ना हँसने का बहाना था. ? क्युँ हो गऐे हम इतने बडे, ? इससे अच्छा तो वो बचपन का ☺️ जमाना था..
आओ ? हम चाँद का क़िरदार अपना ले. ? दाग अपने पास रख ले, और ? रोशनी बाँट दें..
वो बचपन ☺️ भी क्या दिन थे मेरे..! ? न फ़िक्र कोई..न दर्द कोई..!! बस खेलो, ? खाओ, सो जाओ..! बस इसके सिवा कुछ ? याद नहीं..!
bachpan lines in hindi:
हम भी ? मुस्कराते थे कभी बेपरवाह ? अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी ? तस्वीरों में !
बच्चों ? के द्वारा नापसंद किये जाने से ? बेहतर है बड़ों के बीच से निकाल ☺️ दिया जाना।
मेरा बचपन भी साथ ले आया गाँव से जब भी आ गया कोई
मोहल्ले वाले मेरे कार-ए-बे-मसरफ़ पे हँसते हैं मैं बच्चों के लिए गलियों में ग़ुब्बारे बनाता हूँ
सातों आलम सर करने के बा’द इक दिन की छुट्टी ले कर घर में चिड़ियों के गाने पर बच्चों की हैरानी देखो
bachpan hindi shayari:
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
एक हाथी एक राजा एक रानी के बग़ैर नींद बच्चों को नहीं आती कहानी के बग़ैर
खिलौनों की दुकानो रास्ता दो मिरे बच्चे गुज़रना चाहते हैं
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया
मैं बचपन में खिलौने तोड़ता था मिरे अंजाम की वो इब्तिदा थी
shayari bachpan ki yaadei:
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे कहाँ गया मिरा बचपन ख़राब कर के मुझे
अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूँ जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, ? क्युंकी मेरी दुश्मनी का नुकसान सह ? नही पाओगे…!
कमज़ोर ? पड़ गया है, मुझसे तुम्हारा ताल्लुक, ☺️ या कहीं और सिलसिले मजबूत ? हो गए हैं.
सारी दुनियाँ मैं ईद है, ? लेकिन हमारा चाँद आज ? भी गुम है.
इक ? चुभन है कि जो बेचैन किए रहती ? है, ऐसा लगता है कि कुछ टूट गया है ? मुझ में.
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता
bachpan ki yaadein shayari
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
बचपन भी कमाल का थाखेलते खेलते चाहें छत पर सोयेंया ज़मीन परआँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना!!
Bachpan kagaz ki Kashti Shayari:
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
Bachpan Ka Jamana Hindi Shayari
रोने की वजह भी न थी
न हंसने का बहाना था
क्यो हो गए हम इतने बडे
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था!!
Bachpan Kaha Kho Gaya Shayari
वो क्या दिन थे…
मम्मी की गोद और पापा के कंधे,
न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे,
न कल की चिंता और न फ्यूचर के सपने,
अब कल की फिकर और अधूरे सपने,
मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने,
मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए,
न जाने क्यूँ हम इतने बड़े हो गए|
Bachpan Ke Hansi Best Shayari
जिस के लिए बच्चा रोया था
और पोंछे थे आँसू बाबा ने
वो बच्चा अब भी ज़िंदा है
वो महँगा खिलौना टूट गया
बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थेजहाँ चाहा रो लेते थे और अबमुस्कान को तमीज चाहिएऔर आंसुओं को तन्हाई!!
Koi Lauta De Mera Bachpan Shayari
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी।
Bachpan Ke Khushi Shayari
अब तो खुशियाँ हैं इतनी बड़ी,
चाँद पर जाकर भी ख़ुशी नहीं,
एक मुराद हुई पूरी कि दूसरी आ गयी,
कैसे हो खुश हम, कोई बता दो,
अब तो बस दुःख भी हैं इतने बड़े,
कि हर बात पर दिल टुटा करता है.
bachpan ki lori
याद आती है आज छुटपन की वो लोरियां,
माँ की बाहों का झूला ,
आज फिर से सूना दे माँ तेरी वो लोरी,
आज झुला दे अपनी बाहों में झूला.
तब तो यही हमे भाते थे,
आज भी याद हैं छुटपन की हर कविता,
अब हजारों गाने हैं पर याद नहीं,
इनमे शब्द हैं पर मीठा संगीत कहाँ.
Bachpan Ke Kavita
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,
आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
Bachpan Messages
होठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था..
सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था..!!
Bachpan Ke Sapne Shayari
Bachpan Ka Jamana Yaad Aata Hai Shayari
चुपके-चुपके ,छुप-छुपा कर लड्डू उड़ाना याद है.
हमकोअब तक बचपने का वो जमाना याद है..!!
जो सपने हमने बोए थे…नीम की ठंडी छाँवों में,
कुछ पनघट पर छूट गए,कुछ काग़ज़ की नावों में..!!
2 Line Bachpan Shayari In Hindi Font
बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे…
अब पहचान गए है मंदिर कौन सा और मस्जिद कौन सा..!!
Bachpan Ki Dosti Shayari
दौड़ने दो खुले मैदानों में,
इन नन्हें कदमों को जनाब
जिंदगी बहुत तेज भगाती है,
बचपन गुजर जाने के बाद
बचपन की वो यादें अब भी आती हैं
रोते में अब भी वो हँसा जाती हैं..!!
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
Bachpan Par Shayari in Hindi
फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर खुशबु लगाते है
वो बच्चे रेल के डिब्बों मे जो झुण्ड लगाते है!!
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के ✒ बचपन ले गया.
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई ✒ बचपन की तरह
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे.
तभी तो याद है हमे हर वक़्त बस ✒ बचपन का अंदाज,
आज भी याद आता है बचपन का वो खिलखिलाना,
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना…
चलो के आज ✒ बचपन का कोई खेल खेलें,
बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा.
मै उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह,
वो मेरे साथ है ✒ बचपन की आदतों की तरह.
कितना आसान था ✒ बचपन में सुलाना हम को,
नींद आ जाती थी परियों की कहानी सुन कर.
लगता है माँ बाप ने ✒ बचपन में खिलौने नहीं दिए,
तभी तो पगली हमारे दिल से खेल गयी.
मुखौटे ✒ बचपन में देखे थे, मेले में टंगे हुए,
समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुए.
फिर से ✒बचपन लौट रहा है शायद,
जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ.
Best Bachpan Shayari In Hindi
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं
छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब ✒ बचपन नहीं रहा.
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ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ,
✒ बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है.
वो ✒ बचपन की नींद अब ख्वाब हो गई,
क्या उमर थी कि, शाम हुई और सो गये.
रोने की वजह भी न थी, न हंसने का बहाना था,
क्यो हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो ✒ बचपन का जमाना था.
दहशत गोली से नही दिमाग से होती है, और दिमाग तो हमारा ✒ बचपन से ही खराब है.
✒ बचपन में भरी दुपहरी नाप आते थे पूरा गाँव,
जब से डिग्रियाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे.
लाज़वाब बचपन शायरी
कितने खुबसूरत हुआ करते थे ✒ बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी .
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान ✒ बचपन भी कितना प्यारा था.
✒ बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है.
बचपन पर शायरी
✒ बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी.
देखो ✒ बचपन में तो बस शैतान था
मगर अब खूंखार बन गया हूँ .
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से,
वो ✒ बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं.
Best Bachpan Shayari In Hindi
ची ल उड़ी, कौआ उड़ा,
✒ बचपन भी कहीं उड़ ही गया.
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर,
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर,
काश मिल जाए फिर मुझे वो ✒ बचपन का पहर.
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त,
✒ बचपन वाला इतवार अब नहीं आता.
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना
✒ बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना.
किसने कहा नहीं आती वो ✒ बचपन वाली बारिश
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की.
✒ बचपन में कितने रईस थे हम,
ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी बस हंसना और हंसाना,
कितना बेपरवाह था वो बचपन.
Best Bachpan Shayari In Hindi
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में…
फिर लौट के ✒ बचपन के ज़माने नहीं आते.
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लौटा देती ज़िन्दगी एक दिन नाराज़ होकर,
काश मेरा ✒ बचपन भी कोई अवार्ड होता.
याद आता है वो बीता ✒ बचपन,
जब खुशियाँ छोटी होती थी.
बाग़ में तितली को पकड़ खुश होना,
तारे तोड़ने जितनी ख़ुशी देता था.
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब
शायद मेरा ✒ बचपन, खत्म होने को है.
कितने खुबसूरत हुआ करते थे ✒ बचपन के वो दिन
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी.
बचपन पर शायरी
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब;
शायद मेरा ✒ बचपन, खत्म होने को है.
किसने कहा नहीं आती वो ✒ बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की.
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना,
✒ बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना.
✒ बचपन में जहां चाहा हंस लेते थे जहां चाहा रो लेते थे,
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसूओं को तनहाई.
कोई मुझको लौटा दे वो ✒ बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी.
देर तक हँसता रहा उन पर हमारा ✒ बचपना,
जब तजुर्बे आए थे संजीदा बनाने के लिए.
आते जाते रहा कर ए दर्द
तू तो मेरा ✒ बचपन का साथी है.
✒ बचपन से हर शख्स याद करना सिखाता रहा,
भूलते कैसे है ? बताया नही किसी ने.
बचपन पर शायरी
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से
वो ✒ बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं.
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
कहाँ गया मेरा बचपन ख़राब कर के मुझे
इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में
ढूँडता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से
कहीं भी जाऊँ मेरे साथ साथ चलते हैं
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँ
मेरा बचपन मेरे जुगनू मेरी गुड़िया ला दे
यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया,
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो
Bachpan shayri in hindi
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
देखकर रेल के डिब्बे बुहारता बचपन
लोग कह देते हैं– “ पाँवों पे खड़ा है तो सही”
मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए
बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावनवो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
Bachpan shayari in two lines
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
काग़ज़ की नाव भी है, खिलौने भी हैं बहुत
बचपन से फिर भी हाथ मिलाना मुहाल है
~बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर
shayari on Bachpan ke din in hindi
मिरी मैली हथेली पर तो बचपन से
ग़रीबी का खरा सोना चमकता है
फिर मुझे याद आएगा ~बचपन
इक ज़माना गुमाँ से गुज़रेगा
मैं ने बचपन की ख़ुशबू-ए-नाज़ुक
एक तितली के संग उड़ाई थी
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई
आज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में
”घर का बोझ उठाने वाले ब्च्चे की तक़दीर न पूछ
बचपन घर से बाहर निकला और खिलौना टूट गया”
मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
सुकून की बात मत कर ए ग़ालिब
बचपन वाला इतवार अब नही आता !
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं ~
शहज़ादा सो गया है कहानी सुने बग़ैर
बचपन के ताक़ में रखी गुड़िया उदास है ~सिदरासहरइमरान
जो भूले से बचपन में पकड़ी थी तितली
सुरूर-ए-वफ़ा में भी उतरा वही रंग ~इन्दिरावर्मा
कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं,
कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ?
संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए,
अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये.!
mera Bachpan shayari
चाँदके माथेपर बचपन की चोट के दाग़ नज़र आते हैं
रोड़े,पत्थर और गुल्लोंसे दिनभर खेला करता था
बहुत कहा आवारा उल्काओं की संगत ठीक नहीं!
फ़िक्र से आजाद थे और, खुशियाँ इकट्ठी होती थीं..
वो भी क्या दिन थे, जब अपनी भी,
गर्मियों की छुट्टियां होती थीं.
Bachpan ki dosti shayari
कैमरे जरा कम थे मेरे गांव में,
जब बचपन देखना होता है,
तो मां की आंखों में झांक लेता हूं।
जो सोचता था बोल देता था,
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी
कुछ अठन्नी और चार आनों में,कुछ मुफ़्त मूमफली के दानों में,
कुछ बंद हो चुकी दुकानों में,कुछ असभ्यता के मुहानों में,
कुछ ग़ज़लों में कुछ गानों में,कुछ मशीन से दूर इंसानों में, कुछ बड़े होने के अरमानों में!!
उम्र ने तलाशी ली, तो जेब से लम्हे बरामद हुए…
कुछ ग़म के थे, कुछ नम थे, कुछ टूटे…
बस कुछ ही सही सलामत मिले,
जो बचपन के थे…
जो गुज़र गया नादानियों मे
वो वक़्त कमाल था ……..
आज बचपन का टूटा हुआ खिलौना मिला…
उसने मुझे तब भी रुलाया था,
उसने मुझे आज भी रुलाया है
Bachpan ki shayari hindi
बचपना अब भी वही है हममें ….
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं …।
इन्हें तल्खियों से क्या मतलब, नफरतें भी कहां जानते हैं…
खुशी चेहरे की पढ़ लेते हैं, बच्चे इतना सा मजहब जानते हैं
“उम्र की सिढ़ी चढ़ थकने लगे है…
कदम जो कई छतें लाँघ जाते थे!!”
उम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरह;
मैंने साइकिल भी खरीदी, खिलौने भी लेके देख लिए।
बचपन में जब
धागों के बीच डब्बे फसाकर
फोन-फोन खेलते थे
नहीं तो मालूम नहीं था
एक दिन इस फोन में
जिन्दगी सिमटती चली जायेगी
ज़िन्दगी छोड़ आया हूँ कहीं उन गलियों मे
जहाँ कभी दौड़ जाना ही ज़िन्दगी हुआ करती थी
हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे
2 lines shayari on Bachpan
बचपन में भरी दोपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला…
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे…
बचपन इसलिए भी प्यारा होता हैक्योंकि….. कंधे और दिल दोनोंख़ाली होते हैं,
उम्र ने तलाशी ली, तो कुछ लम्हे
बरामद हुए…… कुछ ग़म के थे,
कुछ नम के थे, कुछ टूटे ।
बस कुछ ही सही सलामत मिले ,
छुट गया वो खेलने जाना,
पेडोँ की छाँव मे वक्त बिताना.
वो नदियोँ मे नहाने जाना,
शाम ढले घर वापस आना.
Bachpan shayari in urdu
यादे बचपन कि भूलती नहीं
सच्चाई से हमको मिलाती नहीं
जीना चाहते है हम बचपन फिर से
पर शरारतें बचपन कि अब हमे आती नहीं !
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं,
तन्हा होती हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाती हूँ…।
ले चल मुझे बचपन की,
उन्हीं वादियों में ए जिन्दगी…
जहाँ न कोई जरुरत थी,
और न कोई जरुरी था.!!
बचपन की खेल…..
भी गजब की न्यारी थी,,
कभी भट से चिढ़ जाना,,
तो फिर एक पल में भी मान जाना,,
न कोई रंजिश न कोई गम था,,
केवल मस्ती भरी दिन थे,,
और खुशीयों का साया था
बहुत ही संगीन ज़ुर्म को,
हम अंज़ाम देकर आए हैं!
बढ़ती उम्र के साए से,
कल बचपन चुरा लाए हैं!
बचपन के दिन भुला ना देना आज हंसे कल रुला ना देना इचक दाना पिचक दाना, दाने उपर दाना कितना प्यारा था बचपन मस्ताना….
बचपन मे लटटू घुमाते घुमाते, ना जाने कब दुनिया ही घूम गयी।बचपन के खिलौने सा कही छुपा लू तुम्हे.. आँसू बहाऊ, पाव पटकूं, और पा लू तुम्हें।
Bachpan Kya Tha Shayari
फिर उसके बाद मैं बचपन से निकल आया था, मोहब्बत मेरी आखिरी श़रारत थी…
बचपन की सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी ये थी किबड़े होते ही ज़िन्दगी मज़ेदार हो जाएगी
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम
Bachpan Status
बचपन भी कमाल का था
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें
या ज़मीन पर
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था।
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।
सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी
Bachpan Shayari in Hindi
जिंदगी फिर कभी न मुस्कुराई बचपन की तरह
मैंने मिट्टी भी जमा की खिलौने भी लेकर देखे
चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें,
बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं,
छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा।
कोई मुझको लौटा दे वो बचपन का सावन
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब
शायद मेरा बचपन, खत्म होने को है
देर तक हँसता रहा उन पर हमारा बचपना
जब तजुर्बे आए थे संजीदा बनाने के लिए
आते जाते रहा कर ए दर्द
तू तो मेरा बचपन का साथी है
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया
Bachpana Shayari
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था
Childhood Shayari
चले आओ कभी टूटी हुई चूड़ी के टुकड़े से
वो बचपन की तरह फिर से मोहब्बत नाप लेते हैं
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की
Bachpan Shayari iin hindi language
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे
मुझे फिर से थमा दे ओ माँ
वही मेरे स्कूल का बैग
अब मुझे और नहीं सहा जाता
इस जिन्दगी का भारी बोझ
बचपन में कितने रईस थे हम
ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी
बस हंसना और हंसाना
कितना बेपरवाह था वो बचपन
मोहल्ले में अब रहता है
पानी भी हरदम उदास
सुना है पानी में नाव चलाने
वाले बच्चे अब बड़े हो गए
Childhood Memories Shayari caption
याद आता है वो बीता बचपन
जब खुशियाँ छोटी होती थी
बाग़ में तितली को पकड़ खुश होना
तारे तोड़ने जितनी ख़ुशी देता था
तभी तो याद है हमे
हर वक़्त बस बचपन का अंदाज
आज भी याद आता है
बचपन का वो खिलखिलाना
दोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना
funny bachpan shayari
वो लड़कीया भी किसी आतंकवादी से कम नही हुआ करती थी…
जो टिचर के क्लास मे आते ही याद
दिला देती है ..
सर आपने टेस्ट का बोला
था..
आजकल के बच्चे क्या समझेंगे
हमने किन मुश्किल परिस्थितियों में पढ़ाई की है,
कभी कभी तो मास्टर जी हमें
मूड फ्रेश करने के लिये ही कूट दिया करते थे
Childhood Memories Shayari Hindi
मन की बात…
आज कल के बच्चे रिफ्रेश होने के लिए जहाँ वाटर पार्क, गेम सेंटर जाने की जिद करते हैं …
वहीं हम ऐसे बच्चे थे जो मम्मी-पापा के एक झापङ से ही फ्रेश हो जाते थे.!
वो भी क्या दिन थे….????
जब बच्चपन में कोई रिश्तेदार जाते समय 10 Rs. दे जाता था..
और माँ 8Rs. टीडीएस काटकर 2 Rs. थमा देती थी….!!!
घर का T.V बिगड़ जाए
तो माता-पिता कहते हैं..
बच्चों ने बिगाड़ा है;
और अगर बच्चे बिगड़ जाएं तो
कहते है..
T.V. ने बिगाड़ा है !!!