ग़ालिब के कुछ मशहूर शेर और शायरी, Ghalib Shayari in hindi | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी प्रश्तुत हैं ।
शेर बस दो पंक्तियों की कविता है। कृपया ध्यान दें, हर शेर अपने आप में एक कविता है! मतलब समझने के लिए शेर को किसी और माध्यम की जरूरत नहीं होती ।
Ghalib Shayari in hindi
ग़ज़ल एक प्रकार से तुकबंदी करने वाले दोहे है। ग़ज़ल आमतौर पर नुकसान या अलगाव और उस दर्द के बावजूद प्यार की सुंदरता दोनों के बारे में होती है। एक ग़ज़ल में 4-5 शेर (दोहे) होते हैं।हर शेर के पास एक ही मीटर और तुकबंदी योजना होगी, लेकिन अलग-अलग विषय हो सकते हैं। दोहे एक ही विचार हो सकते हैं या नहीं भी। ग़ज़ल में आम तौर पर एक सख्त लय और ताल संरचना होती है।
नज़्म कहानी कहने की तरह है। इसका केवल एक ही विषय है। यह ग़ज़ल की तुलना में कम प्रतिबंधात्मक है जिसमें दार्शनिक, रोमांस, प्रेम और समान विषय हो सकते हैं।
शायरी शब्द ‘शेर’ से लिया गया है जो एक ग़ज़ल का दोहा है। शायरी भी शेरों के अनुवाद का एक रूप है। शायरी के लिए ली गई कविताएँ आमतौर पर रोमांटिक प्रकृति की होती हैं। इसमें वाक्य, विनोदी और शब्दों का आश्चर्यजनक उपयोग होता है।
Mirza Ghalib Shayari in hindi
गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये
हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब
की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये
समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल
की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये
तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये
कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये
ghalib poetry in hindi
सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है
बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है
देखना तक़रीर के लज़्ज़त की जो उसने कहा
मैंने यह जाना की गोया यह भी मेरे दिल में है
सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले
अदल के तुम न हमे आस दिलाओ
क़त्ल हो जाते हैं , ज़ंज़ीर हिलाने वाले
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते जो में पिए होते
क़हर हो या भला हो , जो कुछ हो
काश के तुम मेरे लिए होते
मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब ’
कोई दिन और भी जिए होते
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेखुदी बेसबब नहीं ‘ग़ालिब’
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है
inspirational shayari by ghalib
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
Kudrat ke niyamon se inaayat na karna,
Apni Kismat pe aitbaar na karna,
Wo khud dega ijazat apko,
Bas, Waqt se pehle paane ki shikayat na karna..
galib ki shayari
mirza ghalib famous shayari
इश्क़ मुझको नहीं वेहशत ही सही
मेरी वेहशत तेरी शोहरत ही सही
कटा कीजिए न तालुक हम से
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही |Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
Ghalib sher : मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई,
मेरे दुख की दवा करे कोई।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
ghazals of ghalib in hindi
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
mirza ghalib poetry in hindi
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाए
फिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता
galib ki shayari in hindi on love
इक क़ैद है आज़ादी-ए-अफ़्कार भी गोया,
इक दाम जो उड़ने से रिहाई नहीं देता
इक आह-ए-ख़ता गिर्या-ब-लब सुब्ह-ए-अज़ल से,
इक दर है जो तौबा को रसाई नहीं देता
इक क़ुर्ब जो क़ुर्बत को रसाई नहीं देता,
इक फ़ासला अहसास-ए-जुदाई नहीं देता
आज फिर पहली मुलाक़ात से आग़ाज़ करूँ,
आज फिर दूर से ही देख के आऊँ उस को !!
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galib shayari hindi
ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा !!
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
उस पे आती है मोहब्बत ऐसे
झूठ पे जैसे यकीन आता है
खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है
मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है
फिर आबलों के ज़ख़्म चलो ताज़ा ही कर लें,
कोई रहने ना पाए बाब जुदा रूदाद-ए-सफ़र से !!
mirza ghalib love shayari in hindi
एजाज़ तेरे इश्क़ का ये नही तो और क्या है,
उड़ने का ख़्वाब देख लिया इक टूटे हुए पर से !!
साज़-ए-दिल को गुदगुदाया इश्क़ ने
मौत को ले कर जवानी आ गई
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
koi umeed bar nahi aati shayari in hindi
ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे
है आदमी बजा-ए-ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल,
हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो
_
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तिबार होता !!
mirza ghalib ki shayari in hindi
आ ही जाता वो राह पर गालिब
कोई दिन और भी जिए होते
उस अंजुमन-ए-नाज की क्या बात है गालिब
हम भी गए वां और तेरी तकदीर को रो आए
कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं
आज गालिब गजल-सरा न हुआ
ghalib sher in hindi
आईना क्यूं न दूं कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहां से लाऊं कि तुझ सा कहें जिसे
इश्क मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
उन के देखे से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
mirza ghalib ki shayari
कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नजर नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूं रात भर नहीं आती
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती।
mirza ghalib shayari in english
Kaid-e-Hayat-o-Band-e-Gham asal me dono ek hain, Maut se pehle aadmi gham se nizaat paaye Kyun”
Meaning: The prison of life and the bondage of grief are one and the same. Before the onset of death, why should man expect to be free of grief?
“Aah Ko chahiye ek umra asar hote tak, Kaun jeeta hai tere zulf ke sar hote tak”
Meaning: One needs lifetime to fulfill all wishes, Who lives enough to conquer your love?
“Maut ka ek din moiyyan hai, Toh neend kyu raat bhar nhi aati”
Meaning: The day of death is fixed, why sleep is missing all the night?
mirza ghalib poetry in english
“Meherban hoke Bula lo mujhe chahe jis waqt.Main Gaya waqt nahi hun ki phir na aa sakun”
“Bazeecha-e-atfal hai duniya mere aage, Hota hai shab-o-roz tamasha mere aage”
Meaning: This world is like a playground of Children to me, where fuss is going on daily.
“Ho chuki ‘ghalib’ balayen sab tamam, Ek marg-e-na-gahani aur hai”
Meaning: All the problems have been finished ‘Ghalib’, sudden death is something else”
mirza ghalib love poetry
की मेरे क़त्ल के बाद उस
ने जफ़ा से तौबा,
हाए उस ज़ूद-पशीमाँ
का पशीमाँ होना !! –
आता है मेरे क़त्ल
को पर जोश-ए-रश्क से
मरता हूँ उस के हाथ
में तलवार देख कर
करने गये थे उनसे तगाफुल
का हम गिला,
की एक ही निगाह
कि हम खाक हो
गये !! –
mirza ghalib sher
ये न थी हमारी
क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते
यही इंतिज़ार होता !! –
ता करे न ग़म्माज़ी कर
लिया है दुश्मन को
दोस्त की शिकायत में
हम ने हम-ज़बाँ
अपना
‘ग़ालिब’ नदीम-ए-दोस्त से
आती है बू-ए-दोस्त
मश्ग़ूल-ए-हक़ हूँ
बंदगी-ए-बू-तराब
में
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है
दुनिया मिरे आगे
होता है तमाशा शब्
ओ रोज़ मेरे आगे
ghalib romantic shayari
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
हैं और भी दुनिया
में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा
न हुआ
मैं न अच्छा हुआ
बुरा न हुआ
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तश्ना ए फरियाद आया
दम लिया था ना कयामत ने हनोज़
फिर तेरा वक्ते सफ़र याद आया
ghalib shayari on dosti in hindi
जान दी दी हुई उसी की थी
हक़ तो ये है कि हक़ अदा न हुआ
हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलाएँ सब तमाम
एक मर्ग-ए-ना-गहानी और है
ग़ालिब
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
इनकार की सी लज़्ज़त इक़रार में कहाँ,
होता है इश्क़ ग़ालिब उनकी नहीं नहीं से !!
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
best shayari of mirza ghalib in hindi
देखो तो दिल फ़रेबि-ए-अंदाज़-ए-नक़्श-ए-पा,
मौज-ए-ख़िराम-ए-यार भी क्या गुल कतर गई !! –
देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग
उस की हर बात पे हम नाम-ए-ख़ुदा कहते हैं
-ग़ालिब
जान दी हुई उसी की थी,
हक़ तो ये है कि हक़ अदा न हुआ।
फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ।
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
ghalib ki shayari
हर एक बात पे कहते हो की तू क्या है ,
तुम कहो की ये अंदाज़े गुफ्तगू क्या है ,
रंगो में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल ,
जब आँख से ही ना टपका तो फिर लहू क्या है।
क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी,
जो बंदगी में मिरा भला न हुआ।
अफ़साना आधा छोड़ के सिरहाने रख लिया,
ख़्वाहिश का वर्क़ मोड़ के सिरहाने रख लिया !!
तमीज़-ए-ज़िश्ती-ओ-नेकी में लाख बातें हैं,
ब-अक्स-ए-आइना यक-फ़र्द-ए-सादा रखते हैं !!
ghalib ke sher in hindi
ज़रा कर ज़ोर सीने में कि तीरे-पुर-सितम निकले,
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले !!
तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’
तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
मगर लिखवाए कोई उस को खत
तो हम से लिखवाए
हुई सुब्ह और
घरसे कान पर रख कर कलम निकले..
galib ki shayari hindi mai
मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
-मिर्जा ग़ालिब
बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..
पीने दे बैठ कर मस्ज़िद में ग़ालिब,
वरना वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं।
ghazals of ghalib in hindi
गुनाह करके कहाँ जाओगे ग़ालिब,
ये जमीं और आस्मां सब उसी का है।
ग़ालिब ने यह कह कर तोड़ दी तस्बीह,
गिनकर क्यों नाम लू उसका जो बेहिसाब देता है।
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।
मैं तो इस सादगी-ए-हुस्न पे सदक़े,
न जफ़ा आती है जिसको न वफ़ा आती है।
mirza ghalib shayari on taj mahal
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
गुज़र रहा हूँ यहाँ से भी गुज़र जाउँगा,
मैं वक़्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा।
Bazicha-e-atfal hai Duniya mere aage. Hota hai shab-o-roz Tamasha mere aage
The world is a children’s playground before me
Night and day, a new play is enacted before me
Aah ko chahiye ik umr asar hote tak Kaun jeetaa hai teri zulf ke sar hote tak
A prayer needs a lifetime, an answer to obtain
who can live until the time that you decide to deign
Hazaaron ḳhvahishen aisi ki har ḳhvahish pe dam nikle. Bahut nikle mire arman lekin phir bhī kam nikle
Though many of my desires were fulfilled, majority remained unfulfilled.
mirza ghalib best shayari
Na tha kuchh to ḳhuda tha Kuchh na hota to ḳhuda hota. Duboya mujh ko hone ne Na hota maiñ to kya hota
In nothingness God was there, if naught he would persist
Existence has sunk me, what loss, if I didn’t exist
ghalib sad shayari
Ye na thi hamari qismat ki visal-e-yaar hota Agar aur jiite rahte yahī intizar hota
That my love be consummated, fate did not ordain
Living longer had I waited, would have been in vain
भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,
बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया !!
अब अगले मौसमों में यही काम आएगा,
कुछ रोज़ दर्द ओढ़ के सिरहाने रख लिया !!
mirza ghalib sad shayari in hindi
वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,
उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया !!
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं !!
हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है !!
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है !!
ghalib sad shayari in hindi
न सुनो गर बुरा कहे कोई,
न कहो गर बुरा करे कोई !!
रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई !!
तेरे वादे पर जिये हम
तो यह जान,झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर एतबार होता ..
गा़लिब
mirza ghalib romantic shayari in hindi
तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है..
गा़लिब
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
गा़लिब
mirza ghalib ke sher
अपनी गली में मुझ को
न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को
क्यूँ तेरा घर मिले
गा़लिब
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नही,
सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया !!
पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो
हम तो जाने कब से हैं आवारा-ए-ज़ुल्मत मगर,
तुम ठहर जाओ तो पल भर में गुज़र जाएगी रात !!
है उफ़ुक़ से एक संग-ए-आफ़्ताब आने की देर,
टूट कर मानिंद-ए-आईना बिखर जाएगी रात !!
mirza ghalib shayari hindi status
दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ
हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है
ghalib best shayari in hindi
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
ishrat-e-qatra hai dariyā meñ fanā ho jaanā
dard kā had se guzarnā hai davā ho jaanā
ye na thī hamārī qismat ki visāl-e-yār hotā
agar aur jiite rahte yahī intizār hotā
haiñ aur bhī duniyā meñ suḳhan-var bahut achchhe
kahte haiñ ki ‘ġhālib’ kā hai andāz-e-bayāñ aur
love ghalib shayari
यह कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त़ नासेह
कोई चारासाज होता कोई गमगुसार होता
ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमां क्यूं हो।
मिर्ज़ा ग़ालिब
जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए!
हमें तो ना ज़मीन, ना सितारे, ना चांद, ना रात चाहिए।
गालिब
Jo Kagaz Ke Phoolon Mein Khushbu Dhund Jate Hain,
Jo Chhoti Chhoti Khushiyon Mein Bada Sukh Pate Hai,
Jo Apno Mein Farishte Dhund Lete Hai,
Aise Hi Log Zindagi Jee Lete Hai..
mirza ghalib sad shayari
Ranj se khugar hua insaan to mit jata hai insaan
mushkilen mujh par padin ki asaan ho gayin
Umr bhar ghalib yahi bhul karta raha
dhool chehre pe thi aina saaf karta raha
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
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