इकबाल शायरी | Iqbal Shayari
Iqbal Shayari ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहलेख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती हैबड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा दुनिया की महफ़िलों … Read more