Nayi Hindi kavitaaayein
Best Poem in hindi on corona virus
करोना प्यार है”
जा तुझे ब्लॉक कर दिया ,तुझे ऑनलाइन गाड़ दिया
‘मोहब्बत’ ले मैं अपना हाथ झार लिया
किसी ने हनुमान से पूछा था राम से प्यार करते हो ,
सुशांत अभी भी किसी के लिए कोई मुद्दा है क्या ?
अच्छा बताइए बेटे का अब भी बाप ही वाला धंधा है क्या
अच्छा बताइए नेपोटिज्म आपके घर में भी जिंदा है क्या
अच्छा बताइए गटर अब तक गंदा है क्या
अजी छोड़िए अब सुशांत की बात क्या करें
सुशांत अभी भी किसी के लिए कोई मुद्दा है क्या?
अच्छा आपकी उम्मीद कसूर वालों के लिए फांसी का फंदा है क्या
मियां छोड़िए कोई एक भी शर्मिंदा है क्या इसने बेचा, उसने खरीदा, धंधा है क्या
सुशांत तो अब नहीं रहा, इंसाफ की उम्मीद तक जिंदा है क्या
अजी छोड़िए अब सुशांत की बात क्या करें
सुशांत अब भी किसी के लिए कोई मुद्दा है क्या
गोडसे से भगत सिंह पर गोली ना चलाई जाएगी।
एक दिन तेरी खाक उछाली जाएगी
या के फिर तुझ पर खाक डाली जाएगी
वह बदन जिसके लिए तूने सब जतन किए
गाड़ डाली या झोंक डाली जाएगी
पगड़िया गर जो गिराई जाएंगी
टोपीयां गर जो हटाई जाएंगी
वह गांधी नहीं की हे राम कहे और गिर पड़े
गोडसे से भगत सिंह पर गोलियां चलाई जाएगी
New Hindi Poem on Indian Culture
गाय हमारी
COW बन गयी,
शर्म हया अब
WOW बन गयी,
काढ़ा हमारा
CHAI बन गया,
जीवन बीमा कविता
जो इस संसार में बिना Insurance सो गया।
अपने परिवार की लाचारी उनके Life में बो गया।।
बो गया है लाचारी और Money की टेंशन।
Insurance में इतना ताकत ना दे सके जो पेंशन।।
पेंशन तो बुढ़ापा आने पर थामेगी आपका हाथ।
समय से पहले गये तो Insurance बनेगा नाथ (God)।।
Shradhanjali kavita in hindi
Hindi poems on life
NEW Poems in hindi | हिंदी कविता
हुजूम निकला है हुकमदारो का ,अंजाम निकलना अभी बाकी है |
सुकून पिघला है सितारों का, चाँद पिघलना अभी बाकी है ||
सुना है तहखाने भरे है मोतियों से , खदान खुलना अभी बाकी है |
गड़े है मुर्दे शामियाने में , कब्रिस्तान निकलना अभी बाकी है ||
जल रहे अरमान, गंगास्नान करना अभी बाकी है
मर रही है उम्मींदे, समशान निकलना अभी बाकी है
गर्म चर्चाएं हो रही इन चुनावी गर्मियों में , आस्मां पिघलना अभी बाकी है
रुझानों ने हवा का रुख बता दिया है ,परिणाम निकलना अभी बाकी है
सतरंज के प्यादे लद गए है , अंजाम निकलना अभी बाकी है
कुछ पात्र रचे गए है ,पुराण निकलना अभी बाकी है
थकी है जनता उत्पीड़न से , एलान निकलना अभी बाकी है
ढकी है इज्जत जिनकी सत्ता से ,सम्मान निकलना अभी बाकी है
संजो के रखना उम्मीद के परो को ,उड़ान निकलना अभी बाकी है
सीता का अपहरण हुआ है ,हनुमान निकलना अभी बाकी है
रंजीत एक आम आदमी
हार के जितने वाला रंजीत है वो
इन्द्रियों से हारा इंद्रजीत है वो
बाला का शिकारी है यह
गुमला का अधिकारी है यह
कभी खुद पे गुर्राता है
जाने क्यों डर जाता है
बीवी से थर्राता है
माने हुए डगर जाता है
मै नहीं भूलूंगा स्टेट बस का सफ़र
जिसे याद करके हंस देता हूं अक्सर
भरी बस में कंडक्टर तक पहुँचने का जंग
परेशां था मैं देख के लोगो का ये रंग
सोचा पड़ोसी को पैसे दूँ टिकट मंगवा लू
डर लगता था सौ का वो नोट ही गवां दू
डरते डरते सौ का नोट मैंने उसे थमाया
खो गया भीड़ में वो कहाँ नज़र आया
कविताएँ (Heart Touching Love Poems in hindi )
New Love poem in hindi for husband
देख ना चाँद साथ कैसे चलता है
मेरी तरह ये भी तुम पर मरता है
सितारे जो टूटे तेरे दामन में गिरे
इक तारा इसी आरजू में गिरता है
Dekh na chand saath kaise chalta hai
Meri tarah ye bhi tum par marta hai
Love poetry in hindi | प्यार पर कविताएँ
आंखें खुले तो दीदार तुम्हारा मांगूंगा
अगर हो बंद तो प्यार तुम्हारा मांगूंगा
मरने के लिए हर लम्हा मंजूर है
गुजरने से पहले इंतजार तुम्हारा मांगूंगा
चाहता हूं तुम मेरी नजरों में रहो
तुम प्यार करती हो बस यही कहो
आंखों में चुरा कर छुपा लूं तुम्हें
कैसे कहूं कि तुम मेरी हो मेरी ही रहो
Hindi kavitaaayein : Famous Hindi Poem for Recitations
Karmveer Ayodhya Singh Upadhyay | कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |
osho poems on love in hindi | ओशो कविता
Rabindranath Tagore Poems in Hindi on mother
Motivational poems in hindi by rabindranath tagore
amir khusro poetry in hindi | अमीर खुसरो हिन्दी कविता
आ घिर आई दई मारी घटा कारी अमीर खुसरो
आ घिर आई दई मारी घटा कारी
आ घिर आई दई मारी घटा कारी।
बन बोलन लागे मोर
दैया री बन बोलन लागे मोर।
रिम-झिम रिम-झिम बरसन लागी छाई री चहुँ ओर।
आज बन बोलन लागे मोर।
कोयल बोले डार-डार पर पपीहा मचाए शोर।
आज बन बोलन लागे मोर।
ऐसे समय साजन परदेस गए बिरहन छोर।
आज बन बोलन लागे मोर।
Gopal Das Neeraj | Poems of Gopal Das Neeraj
चाहे पथ में शूल बिछाओ
चाहे ज्वालामुखी बसाओ,
किन्तु मुझे जब जाना ही है —
तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं !
मन में मरू-सी प्यास जगाओ,
रस की बूँद नहीं बरसाओ,
किन्तु मुझे जब जीना ही है —
मसल-मसल कर उर के छाले, अपनी प्यास बुझा लूँगा मैं !
हार न अपनी मानूंगा मैं !
चाहे चिर गायन सो जाए,
और ह्रदय मुरदा हो जाए,
किन्तु मुझे अब जीना ही है —
बैठ चिता की छाती पर भी, मादक गीत सुना लूँगा मैं
Nari Shringar Nazeer Akbarabadi नारी श्रृंगार नज़ीर अकबराबादी
तुमने हाथों में सनम जब से लगाई मेंहदी।
रंग में हुस्न के फूली न समाई मेंहदी॥1॥
किस तरह देखके दिल पर न क़यामत गुज़रे।
एक तो हाथ ग़ज़ब जिस पै रचाई मेंहदी॥2॥
दिल धड़कता है मेरा आज खु़दा खैर करे।
देख करती है यह किस किससे लड़ाई मेंहदी॥3॥
दिल तड़फता है मेरा जिससे कि मछली की तरह।
इस तड़ाके की वह चंचल ने लगाई मेंहदी॥4॥
हुस्न मेंहदी ने दिया आपके हाथों को बड़ा।
ऐसे जब हाथ थे जिस हक़ ने बनाई मेंहदी॥5॥
क्या खता हमसे हुई थी कि हमें देखकर आह।
तुमने ऐ जान दुपट्टा में छिपाई मेंहदी॥6॥
ग़श हुए, लोट गए, कट गए, बेताब हुए।
उस परी ने हमें जब आके दिखाई मेंहदी॥7॥
देखे जिस दिन से वह मेंहदी भरे हाथ उसके “नज़ीर”।
फिर किसी की हमें उस दिन से न भाई मेंहदी॥8॥
Irshad kamil best poems in hindi
कवितायें दोस्त होती हैं
कुछ साधारण कुछ गहरी
कोई दिनों के लिए साथ
कोई दुनिया के लिए
उम्र भर साथ चलने के लिए
सिर्फ दो-चार…
कवितायें प्रेमिकाएं होती हैं
आठवीं की कला- दसवीं की आशा
बारहवीं की शैली – चौदहवीं की शहनाज़
समय की गर्द में दबे राज़
खोलती हैं बंद लिफाफे सा मन
फुर्सत के क्षण
दो पंक्तियों के बीच फासले जितने
बहुत कम समय तक
भूली बिसरी कहावत सी
याद आती हैं कुछ
चलती रहती हैं साथ
उपमा में उलझी
प्रतीकों में बंधी
अलंकारों से बोझल कुछ
कवितायें प्रेमिकाएं होती हैं…
Jaun Elia Poetry In Hindi – Jaun Elia Love Kavita
अजब था उसकी दिलज़ारी का अन्दाज़
वो बरसों बाद जब मुझ से मिला है
भला मैं पूछता उससे तो कैसे
मताए-जां तुम्हारा नाम क्या है?
साल-हा-साल और एक लम्हा
कोई भी तो न इनमें बल आया
खुद ही एक दर पे मैंने दस्तक दी
खुद ही लड़का सा मैं निकल आया
दौर-ए-वाबस्तगी गुज़ार के मैं
अहद-ए-वाबस्तगी को भूल गया
यानी तुम वो हो, वाकई, हद है
मैं तो सचमुच सभी को भूल गया
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में
रस्म ही क्या निबाहनी होती
मुस्कुराए हम उससे मिलते वक्त
रो न पड़ते अगर खुशी होती
Mahadevi verma poems in hindi | महादेवी वर्मा कविता संग्रह
मैं नीर भरी दुख की बदली |
मैं नीर भरी दुख की बदली!
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा
क्रन्दन में आहत विश्व हँसा
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा
नभ के नव रंग बुनते दुकूल
छाया में मलय-बयार पली।
मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल
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